देश के बैंकों, वित्तीय संस्थानों और नियामक एजेंसियों के पास करीब 1.84 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति बिना किसी दावे के पड़ी हुई है। ये पैसा कई तरह के फॉर्म में है, जैसे बचत खाते, बीमा पॉलिसी, भविष्य निधि और शेयर आदि।
इस राशि का असली मालिक कौन है, इसे पता लगाना और पैसे सही लोगों तक पहुंचाना सरकार की जिम्मेदारी है। इसीलिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने "आपकी पूंजी, आपका हक" नाम से तीन महीने का अभियान शुरू किया है।
बिना दावे के पड़ी संपत्तियों की पहचान जरूरी: लोगों को मिलेगा उनका हक
इस अभियान के तहत जो भी लोग अपने पैसे का दावा करना चाहते हैं, वे सही दस्तावेज दिखाकर अपने धन की मांग कर सकते हैं। वित्त मंत्री ने भरोसा दिलाया है कि सरकार की तरफ से यह पैसा पूरी तरह सुरक्षित है और कोई भी उचित कागजात लेकर अपने पैसे वापस ले सकता है। अगर किसी वजह से पैसे लंबे समय तक बिना दावे के रह जाते हैं, तो सरकार इसे एक संस्था से दूसरी संस्था में ट्रांसफर कर देती है ताकि कोई नुकसान न हो।
संपत्तियां लंबे समय तक बिना दावा रहने पर ट्रांसफर भी होती हैं: सरकार का मकसद
सरकार का मुख्य मकसद यह है कि देशवासियों का पैसा सुरक्षित रहे और उनका हक उन्हें मिल सके। यह अभियान बैंकों और वित्तीय संस्थानों में पड़े लाखों करोड़ रुपये की अनदेखी संपत्ति को सही लोगों तक पहुंचाने के लिए बहुत जरूरी है। इसके जरिए न केवल लोगों को उनकी पूंजी वापस मिलेगी, बल्कि इससे वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता और भरोसा भी बढ़ेगा।