वक्फ बोर्ड की दादागीरी पर चोट, किसको नज़र आता है इसमें अपना वोट

Authored By: News Corridors Desk | 28 Mar 2025, 12:36 PM
news-banner

वक्फ संशोधन विधेयक संसद में पेश होना है। इससे पहले देश भर के मुस्लिम संगठनों ने हाय-तौबा मचा रखी है। ज्यादातर विपक्षी पार्टियां भी वोटों के लिए इनके सुर में सुर मिला रही हैं। इस पूरे मामले में मुख्य रूप से दो पक्ष हैं। एक सरकार का और दूसरा मुस्लिम संगठनों और उन्हें समर्थन देने वाली राजनैतिक पार्टियों का ।
 
सरकार का कहना है कि वक्फ संशोधन बिल से वक्फ संपत्तियों को रेगुलेट करना आसान होगा। वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन से मुस्लिम समाज के जरूरतमंद लोगों को मदद मिलेगी जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं । इसके अलावा वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों को निपटाना भी आसान होगा ।  

24IEVu6.jpeg

मुस्लिम संगठनों और उन्हे समर्थन देने वाली पार्टियों का कहना है कि सरकार इस विधेयक के जरिए वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है। उन्हें इस बात पर काफी ऐतराज है कि बिल के कानून बनने के बाद वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकार सीमित हो जाएंगे।इसके बाद वक्फ बोर्ड को किसी की भी प्रोपर्टी पर अपना दावा ठोक कर उस पर कब्जा करने की छूट नहीं मिलेगी ।

भू-माफिया की तरह काम कर रहा है वक्फ बोर्ड - योगी 

इन तमाम तथ्यों की तह में जाने से पहले वक्फ बोर्ड और उसकी कार्यशैली के बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक बयान का जिक्र भी जरूरी है। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा था- 'वक्फ बोर्ड भू-माफिया की तरह काम कर रहा है...सभी राजस्व अभिलेखों की जांच कराई जा रही है, अवैध रूप से कब्जाई गई वक्फ की एक-एक इंच जमीन वापस लेंगे ।'  योगी आदित्यनाथ के इस सवाल का जवाब तलाशें तो समझना आसान होगा कि सरकार को वक्फ संशोधन बिल क्यों लाना पड़ा । 


विरोधियों को वक़्फ़ में वोट दिखता है!

pSUwGLi.jpeg

वक्फ संशोधन विधेयक लाए जाने के विरोध में पटना में आयोजित मुस्लिम संगठनों के विरोध प्रदर्शन में लालू यादव अपने पुत्र तेजस्वी यादव के साथ शामिल हुए। तेजस्वी ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए वक्फ संशोधन बिल को देश तोड़ने की साजिश तक बता डाला। तेजस्वी ने कहा कि वो और उनकी पार्टी हमेंशा मुसलमानों के साथ खड़े हैं। करीब छह महीने बाद बिहार में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में लालू यादव और तेजस्वी एमवाई समीकरण को पुख्ता करने के लिहाज़ से इसे  अच्छा मौका मान रहे हैं। 

असीमित अधिकार और उसका खुलकर दुरुपयोग

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जो लड़ाई चल रही है उसके मूल रुप से दो पहलू हैं ।  एक पक्ष अपने अधिकारों को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है और दूसरा पक्ष औरों की संपत्तियों पर कब्जे के असीमित अधिकार को बनाए रखने के लिए सड़क पर उतर रहा है । 

1954 में वक्फ एक्ट बनाया गया था और 1964 में वक्फ बोर्ड का गठन किया गया । वक्फ अरबी का शब्द है और इसका मतलब है, चल या अचल संपत्ति को मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए स्थायी रूप से समर्पित करना ।

 हर साल मुस्लिम समाज के हजारों लोग अपनी संपत्ति वक्फ करते हैं । इस एक्ट को मुस्लिमों की धार्मिक संपत्तियों और धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के लिए लागू किया गया था । कोई भी संपत्ति वक्फ को देने के बाद वह अल्लाह की हो जाती है और उसके बाद उसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता है ।  

वक्फ का अर्थ है किसी व्यक्ति द्वारा किसी चल या अचल संपत्ति को मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए स्थायी रूप से समर्पित करना।

2013 में वक्फ बोर्ड को मिले असीमित अधिकार 

Z1jjHzo.jpeg

1995 में वक्फ एक्ट में कई संशोधन कर इसकी शक्ति असीमित कर दी गई ।  एक्ट की धारा-3 में कहा गया है कि अगर वक्फ सोचता है कि जमीन किसी मुसलमान की है, तो वह संपत्ति वक्फ की सम्पत्ति है ।  इस बारे में वक्फ को किसी तरह का सबूत पेश करने की बाध्यता नहीं होगी बल्कि जमीन के असली मालिक को साबित करना होगा कि कैसे उसकी जमीन वक्फ की नहीं है । 

दरअसल आज भी देश में लाखों परिवार ऐसे हैं जिनके पास अपनी कई जमीनों के पुख्ता कागज नहीं है । वक्फ बोर्ड की नजर ऐसी तमाम संपत्तियों पर रहती है और वो इसका जमकर फायदा उठाता है । 

1995 में केंद्र में नरसिंहा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी । तब यह कहा गया था कि बाबरी मस्जिद को गिराए जाने से हुए राजनैतिक नुकसान की भरपाई के लिए उन्होने वक्फ बोर्ड को इतने अधिकार दे दिए । 

2013 में यूपीए सरकार ने वक्फ एक्ट में आखिरी संशोधन किया था । इसके जरिए वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां प्रदान की गई । इसके बाद वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति पर दावा ठोकने का अधिकार मिल गया । खास बात यह है कि इनको किसी अदालत में चुनौती भी नहीं दी जा सकती । 

इन अधिकारों के मिलने के बाद इनका जबरदस्त दुरुपयोग शुरू हो गया । वक्फ बोर्ड ने कानून का सहारा लेकर संपत्तियों पर तेजी से कब्जा करना शुरू कर दिया । इनमें सरकारी और गैरसरकारी संपत्तियां शामिल है । मंदिरों और गुरुद्वारों की संपत्तियां भी इनमें शामिल हैं । पिछले दिनों वक्फ बोर्ड ने तमिलनाडू के एक पूरे गांव और वहां स्थित 1500 साल पुराने मंदिर पर भी दावा ठोंक दिया था । देश भर में इसको लेकर काफी चर्चा हुई । 

पिछले कुछ सालों में वक्फ की संपत्तियों में जबरदस्त बढ़ोतरी 

केंद्र की कांग्रेस सरकारों से मिले असीमित अधिकारों के बाद वक्फ बोर्ड ने जिस तरह से संपत्तियों पर कब्जे की मुहिम चलाई उसके बाद उसकी तुलना भू माफिया से की जाने लगी । पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी यही बात कही थी । वक्फ बोर्ड की हरकतों की वजह से काफी समय से वक्फ एक्ट में संशोधन की मांग उठ रही थी ।  

2009 तक वक्फ बोर्ड के पास करीब 4 लाख एकड़ में फैली 3 लाख रजिस्टर्ड संपत्तियां थीं जो अगले 15 साल में दोगुनी हो गई । उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में देश भर में उसकी संपत्ति करीब 9 लाख 40 हजार एकड़ में फैली हुई हैं जिनमें करीब 8 लाख 72 हजार 321 अचल संपत्तियां हैं । वक्फ बोर्ड के पास इसके अलावा 16,713 चल संपत्ति है जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये बताई जा रही है ।

74Vxep5.jpeg


सशस्त्र बलों और रेलवे के बाद सबसे अधिक जमीन

वक्फ बोर्ड के पास सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद सबसे अधिक जमीन का मालिकाना हक है । उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति है । यहां सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं ।  इस वक्त देश में एक सेंट्रल वक्फ बोर्ड और 32 स्टेट बोर्ड हैं । 

वक्फ बोर्ड अपनी संपत्तियों का उपयोग कई जगहों पर करता है । इनमें मुख्य रुप से धार्मिक उद्देश्यों  जिसमें मस्जिदों, मदरसों, दरगाहों और अन्य इस्लामिक धार्मिक केंद्रों का निर्माण और संचालन शामिल होता है । इसके अलावा शैक्षिक संस्थानों को बनाने और उसके संचालन , स्वास्थ्य सेवाओं  , सामाजिक कल्याण की योजनाओं और प्रशासनिक तंत्र के संचालन में भी किया जाता है । वक्फ अपनी संपत्तियों का आर्थिक और व्यावसायिक इस्तेमाल भी करते है । 

वक्फ कानून में 40 संशोधनों की है तैयारी  

वैसे तो कानून के संरक्षण में चल रही वक्फ बोर्ड की मनमानी का काफी समय से विरोध हो रहा है । लंबे अर्से से इसे बदलने की मांग भी की जा रही थी । अब जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए  वक्फ बोर्ड का पर कतरने की तैयारी की है । 

MYRxZ6s.jpeg

केंद्र सरकार जिस वक्फ संशोधन बिल को संसद में पेश करने की तैयारी में हैं उसमें कुल 40 संशोधनों को मंजूरी दी गई है । प्रस्तावित नए कानून के तहत वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति पर दावा करने के लिए अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा । वक्फ बोर्ड में महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व को शामिल किया गया है और वक्फ बोर्ड की मनमानी को रोकने के लिए सशक्त निगरानी प्रणाली की स्थापना करने का प्रावधान किया गया है । 

इसके साथ ही वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड रखने के लिए एक डिजिटल प्रणाली विकसित की जाएगी ताकि कार्यकलापों में पारदर्शिता बनी रहे और धांधली को रोकने में मदद मिल सके।  नए बिल में विवादित मामलों की अदालती सुनवाई का रास्ता भी साफ कर दिया गया है । अभी विवादित मामलों की सुनवाई सिर्फ वक्फ ट्रिब्यूनल में ही हो सकती है जो पूरी तरह से वक्फ बोर्ड के प्रभाव में कार्य करता है । इनके अलावा भी नए बिल में कई महत्वपूर्ण संशोधन प्रस्तावित हैं ।