France Protest: नेपाल के बाद अब फ्रांस में आंदोलन, सड़कों पर हंगामा, सरकार पर संकट

Authored By: News Corridors Desk | 10 Sep 2025, 07:58 PM
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फ्रांस इन दिनों भारी उथल-पुथल से गुजर रहा है। सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ है, जो ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ यानी ‘सब कुछ रोक दो’ के नारे के साथ देश को ठप करने पर उतारू है। पेरिस, मार्सिले और बोर्डो जैसे शहरों में सड़कें जाम हैं, कचरे के डिब्बों में आग लगाई जा रही है, और पुलिस के साथ हिंसक झड़पें हो रही हैं। पेरिस में ही 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आइए, इस आंदोलन की कहानी को आसान और रोचक तरीके से समझें।

क्या है यह आंदोलन?

‘ब्लॉक एवरीथिंग’ एक ऐसा आंदोलन है, जो सोशल मीडिया से शुरू हुआ और पूरे फ्रांस में फैल गया। लोग सरकार की नीतियों, खासकर आर्थिक कटौती और बढ़ती महंगाई से नाराज हैं। प्रदर्शनकारी सड़कें, रेलवे स्टेशन, तेल डिपो, सुपरमार्केट और पेट्रोल पंप बंद कर रहे हैं। उनका मकसद है कि सरकार उनकी मांगें सुने। यह आंदोलन 2018 के ‘यलो वेस्ट्स’ आंदोलन जैसा है, जब लोगों ने तेल की बढ़ती कीमतों और सरकार के फैसलों के खिलाफ बगावत की थी।

आंदोलन की वजह क्या है?

फ्रांस की राजनीति इस समय बहुत कमजोर स्थिति में है। पिछले साल हुए चुनावों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, जिससे संसद में टकराव बढ़ गया। पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरो ने देश का कर्ज कम करने के लिए सख्त बजट पेश किया, जिसमें छुट्टियां खत्म करने, पेंशन रोकने और स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती जैसे कदम थे। यह बजट जनता को पसंद नहीं आया। बायरो संसद में विश्वास मत हार गए और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इसके बाद अपने करीबी सेबास्टियन लेकोर्नू को नया प्रधानमंत्री बनाया, लेकिन यह फैसला लोगों को और भड़काने वाला साबित हुआ। प्रदर्शनकारी मानते हैं कि मैक्रों उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।

सड़कों पर क्या हो रहा है?

प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर कचरे के डिब्बों और बैरिकेड्स में आग लगा दी है। पेरिस के बड़े रेलवे स्टेशन पर धावा बोला गया, जिससे ट्रेनें रुक गईं। बोर्डो और मार्सिले में भीड़ ने चौराहों को घेर लिया और पुलिस पर बोतलें व आतिशबाजी फेंकी। पुलिस ने आंसू गैस और लाठियों का इस्तेमाल किया। सरकार ने 80,000 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया है, लेकिन हालात काबू में नहीं आ रहे। कुछ जगहों पर स्कूल, फैक्ट्रियां और हवाई अड्डे भी प्रभावित हुए हैं। सोशल मीडिया पर लूटपाट की अपीलें भी हो रही हैं, जिससे माहौल और खराब हो गया है।

‘यलो वेस्ट्स’ से क्यों जोड़ा जा रहा है?

यह आंदोलन ‘यलो वेस्ट्स’ की तरह है क्योंकि दोनों ही बिना किसी स्पष्ट नेता के सोशल मीडिया से शुरू हुए। लोग महंगाई, गरीबी और सरकार की नीतियों से परेशान हैं। ‘यलो वेस्ट्स’ ने मैक्रों को अपनी नीतियां बदलने पर मजबूर किया था, और अब यह नया आंदोलन भी कुछ ऐसा ही करने की कोशिश में है।

राजनीति में क्या हो रहा है?

फ्रांस की संसद में कोई भी पार्टी बहुमत में नहीं है, जिससे सरकार कमजोर हो गई है। पिछले एक साल में चार प्रधानमंत्री बदल चुके हैं। मैक्रों की पार्टी अल्पमत में है, और विपक्ष उनके खिलाफ एकजुट हो रहा है। कुछ दल तो मैक्रों के खिलाफ महाभियोग की बात भी कर रहे हैं। देश का कर्ज भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है, जिसे कम करने की कोशिशें जनता को परेशान कर रही हैं।

‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन ने फ्रांस को मुश्किल में डाल दिया है। नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू को संसद में समर्थन जुटाने और सड़कों पर गुस्सा शांत करने की दोहरी चुनौती है। कुछ अजीब घटनाएं भी हो रही हैं, जैसे मस्जिदों के पास सुअर के सिर मिलना, जिन पर मैक्रों का नाम लिखा था। पुलिस इसे विदेशी साजिश मान रही है। फ्रांस इस समय सड़कों पर अराजकता और संसद में अस्थिरता से जूझ रहा है। ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन जनता का गुस्सा दिखाता है, जो सरकार की नीतियों से तंग आ चुकी है। क्या मैक्रों इस संकट से देश को निकाल पाएंगे, या यह आंदोलन इतिहास में एक नया अध्याय लिखेगा? यह देखना बाकी है।