आयकर के बाद अब जीएसटी दरों में राहत की तैयारी, फैसले के बाद सस्ते होंगे जरूरी सामान

Authored By: News Corridors Desk | 02 Jul 2025, 01:36 PM
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आयकर में राहत के बाद केंद्र सरकार अब आम जनता को और बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है । जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार खासतौर पर उन वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी ) की दर घटाने की योजना बना रही है जिसका मध्यवर्ग और कम आय वर्ग के लोगों के घरों में नियमित रूप से इस्तेमाल होता है । फिलहाल इन पर 12% जीएसटी लगता है, लेकिन सरकार इन्हें 5% के स्लैब में लाने की तैयारी कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार दो विकल्पों पर विचार कर रही है । इनमें 12 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आने वाले अधिकांश सामानों को 5 प्रतिशत के टैक्स स्लैब में लाना और 12 प्रतिशत के स्लैब को पूरी तरह समाप्त करना शामिल है ।

अगर ऐसा होता है, तो टूथपेस्ट से लेकर स्टेशनरी, कपड़े, जूते-चप्पल तक सस्ते हो जाएंगे । इनके अलावा प्रेशर कुकर, आयरन, गीजर, छोटी वॉशिंग मशीन, सिलाई मशीन, साइकिल, टाइल्स, कृषि उपकरण और कुछ वैक्सीन जैसे उत्पाद भी काफी सस्ते हो सकते हैं।

इसी महीने हो सकता है फैसला 

जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में इसे लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है । इस बैठक के इसी महीने होने की संभावना है । अगर जीएसटी के स्लैब में प्रस्तावित बदलाव होता है तो इससे सरकार पर 40,000 से 50,000 करोड़ रुपये का सालाना वित्तीय बोझ पड़ सकता है । लेकिन अधिकारियों का मानना है कि दरें घटने से उपभोग बढ़ेगा, जिससे आने वाले समय में (लंबी अवधि में ) टैक्स कलेक्शन में हो सकता है ।

 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी हाल ही में संकेत दिए थे कि जीएसटी दरों में तर्कसंगत कटौती की दिशा में सरकार कदम उठा रही है। हालांकि, कुछ राज्य इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य आशंका जता रहे हैं कि इससे उनके राजस्व पर असर पड़ेगा।

GST स्लैब की मौजूदा स्थिति

भारत में जीएसटी की शुरुआत 2017 में हुई थी और इस व्यवस्था को शुरू हुए 8 साल पूरे चुके हैं । फिलहाल देश में जीएसटी के चार प्रमुख टैक्स स्लैब हैं जो  5%, 12%, 18% और 28% है । 
मोदी सरकार लंबे समय से टैक्स सिस्टम को आसान और तर्कसंगत बनाने की कोशिश कर रही है ताकि आम लोगों पर ज्यादा बोढ न पड़े । मार्च 2025 में भी वित्त मंत्री ने कहा था कि स्लैब पुनर्गठन के बाद टैक्स दरों में और कमी लाई जा सकती है।