क्या वक्फ संशोधन बिल कल यानि बुधवार को ही लोकसभा से पारित हो जाएगा ? यह एक ऐसा सवाल है जिसको लेकर काफी चर्चा हो रही है । यह विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश किया जाएगा, ये केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान के बाद साफ हो चुका था ।
पिछले दिनों एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में उन्होने इसकी घोषणा कर दी थी । परन्तु बिल इसी सत्र में पास भी हो जाएगा इसको लेकर काफी अटकलें लगाई जा रही थी । अब यह भी स्पष्ट हो चुका है कि 2 अप्रैल को ही लेकसभा में पेश किए जाने के बाद विधेयक पर चर्चा भी होगी , और पारित कराने की कोशिश भी होगी ।
2 अप्रैल को दोपहर 12 बजे पेश होगा बिल
बुधवार यानि 2 अप्रैल को दोपहर 12 बजे लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को पेश किया जाएगा । सरकार ने इस बिल पर चर्चा के लिए आठ घंटे की समय सीमा तय की है । बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया ।
हालांकि बैठक में विपक्ष बिल पर चर्चा के लिए 12 घंटे की मांग कर रहे थे लेकिन सरकार नहीं मानी । इसके बाद विपक्ष ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक से वॉकआउट कर दिया ।भाजपा ने अपने सांसदों की सदन में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए व्हिप जारी कर दी है और अपने सहयोगी पार्टियों से भी ऐसा करने का अनुरोध किया है ।
संसदीय कार्यमंत्री ने बताया क्यों नहीं मानी विपक्ष की मांग
पूरे मामले पर स्थिति स्पष्ट करते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि, बिल पर चर्चा के लिए समय को बढ़ाने की विपक्ष की मांग पर सदन की सहमति से विचार किया जा सकता है । लेकिन इस बात का ख्याल रखना होगा कि संसद का यह सत्र 4 अप्रैल तक ही चलेगा । क्योंकि बिल को लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास कराना होगा, इसलिए वहां के लिए भी समय निकालना पड़ेगा ।
किरेन रिजिजू ने कहा कि यदि लोकसभा में ही दो दिनों तक चर्चा चलेगी तो राज्य सभा के लिए समय नहीं बचेगा । इसलिए कल ही बिल पर चर्चा होगी, चर्चा का जवाब होगा और सदन से पारित कराया जाएगा ।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि, हम एक अच्छा बिल लेकर आए हैं । यह संसद के रिकॉर्ड में दर्ज होगा कि किसने इसका समर्थन किया और कौन इसके विरोध में रहा ।
उन्होने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि हर दल को अपना पक्ष रखने, अपनी बात रखने का मौका मिलेगा । फिर भी यदि विपक्ष कोई बहाना बना कर चर्चा से बचने के लिए वॉकआउट करना चाहता है तो हम उसे नहीं रोकेंगे । किरेन रिजिजू ने कहा कि जेपीसी में बिल पर काफी चर्चा हो चुकी है और अब इसको लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है ।
सांसदों को संयमित रहने का निर्देश
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों की ओर से हंगामा का अंदेशा जताया जा रहा है । इसे देखते हुए सरकार सभी भाजपा सांसदों से संयमित बयान देने के लिए कहा गया है । ताकि विपक्ष को हंगामा करने का अवसर न मिले । पार्टी के सभी सांसदों से कहा गया है कि चर्चा के दौरान वो मर्यादित तरीके से अपना पक्ष रखें और किसी उकसावे से उत्तेजित न हों ।
8 अगस्त 2024 को पहली बार लोकसभा में पेश हुआ था बिल
8 अगस्त 2024 को वक्फ संशोधन विधेयक को संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में पेश किया था । विपक्ष ने इसका पुरजोर विरोध किया । विपक्ष के हंगामे के बाद विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था ।
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अगुवाई वाली जेपीसी में कुल 44 संशोधन पेश किए गए जिसमें से करीब 14 संशोधन स्वीकार किए गए । जेपीसी ने बहुमत से रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया । इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट ने भी बिल को अपनी सहमति दे दी । अब इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा ।
वक्फ बोर्ड के पास असीमित अधिकार
मुस्लिमों की धार्मिक संपत्तियों और धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के लिए 1954 में वक्फ एक्ट बनाया गया था । इसके बाद 1964 में वक्फ बोर्ड का गठन किया गया । वक्फ का अर्थ है किसी व्यक्ति द्वारा किसी चल या अचल संपत्ति को मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए स्थायी रूप से समर्पित करना। वक्फ बोर्ड ऐसी संपत्तियों का प्रबंधन करता है ।
1995 में वक्फ एक्ट में कई संशोधन कर इसकी शक्ति असीमित कर दी गई । एक्ट की धारा-3 में कहा गया है कि अगर वक्फ सोचता है कि जमीन किसी मुसलमान की है, तो वह संपत्ति वक्फ की सम्पत्ति है । इस बारे में वक्फ को किसी तरह का सबूत पेश करने की बाध्यता नहीं होगी बल्कि जमीन के असली मालिक को साबित करना होगा कि कैसे उसकी जमीन वक्फ की नहीं है ।
दरअसल आज भी देश में लाखों परिवार ऐसे हैं जिनके पास अपनी कई जमीनों के पुख्ता कागज नहीं है । वक्फ बोर्ड की नजर ऐसी तमाम संपत्तियों पर रहती है और वो इसका जमकर फायदा उठाता है ।
1995 में केंद्र में नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी । तब यह कहा गया था कि बाबरी मस्जिद को गिराए जाने से हुए राजनैतिक नुकसान की भरपाई के लिए उन्होने वक्फ बोर्ड को इतने अधिकार दे दिए ।
2013 में यूपीए सरकार ने वक्फ एक्ट में आखिरी संशोधन किया था । इसके जरिए वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां प्रदान की गई । इसके बाद वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति पर दावा ठोकने का अधिकार मिल गया । खास बात यह है कि इनको किसी अदालत में चुनौती भी नहीं दी जा सकती ।
इन अधिकारों के मिलने के बाद इनका जबरदस्त दुरुपयोग शुरू हो गया । वक्फ बोर्ड ने कानून का सहारा लेकर संपत्तियों पर तेजी से कब्जा करना शुरू कर दिया । इनमें सरकारी और गैरसरकारी संपत्तियां शामिल है । मंदिरों और गुरुद्वारों की संपत्तियां भी इनमें शामिल हैं । पिछले दिनों वक्फ बोर्ड ने तमिलनाडू के एक पूरे गांव और वहां स्थित 1500 साल पुराने मंदिर पर भी दावा ठोंक दिया था । देश भर में इसको लेकर काफी चर्चा हुई ।
वक्फ की संपत्तियों में जबरदस्त बढ़ोतरी
2009 तक वक्फ बोर्ड के पास करीब 4 लाख एकड़ में फैली 3 लाख रजिस्टर्ड संपत्तियां थीं जो अगले 15 साल में दोगुनी हो गई । उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में देश भर में उसकी संपत्ति करीब 9 लाख 40 हजार एकड़ में फैली हुई हैं जिनमें करीब 8 लाख 72 हजार 321 अचल संपत्तियां हैं । वक्फ बोर्ड के पास इसके अलावा 16,713 चल संपत्ति है जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये बताई जा रही है ।आज वक्फ बोर्ड के पास सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद सबसे अधिक जमीन का मालिकाना हक है ।
वैसे तो वक्फ बोर्ड की मनमानी का काफी समय से विरोध हो रहा है । लंबे अर्से से कानून बदलने की मांग भी की जा रही थी । अब जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए वक्फ बोर्ड का पर कतरने की तैयारी की है ।