भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार, जिन्हें पूरे देश में 'भारत कुमार' के नाम से जाना जाता था, अब हमारे बीच नहीं रहे। 87 वर्ष की आयु में, उन्होंने 3:30 बजे कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु से न केवल फिल्म इंडस्ट्री बल्कि पूरा देश शोक में डूबा हुआ है।
मनोज कुमार अपनी देशभक्ति से भरी फिल्मों के लिए जाने जाते थे । उनके निधन को भारतीय सिनेमा की एक बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।
देशभक्ति सिनेमा का स्तंभ: मनोज कुमार
मनोज कुमार ने अपने करियर में कई देशभक्ति से भरपूर फिल्में दीं, जो आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं। उन्होंने सिर्फ सिनेमा में अभिनय ही नहीं किया, बल्कि उन्होंने देशप्रेम को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। उनकी फिल्मों ने देशवासियों में राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत किया और उन्हें 'भारत कुमार' का दर्जा दिलाया। उनकी फिल्मों में दिखाया गया देशप्रेम केवल स्क्रिप्ट तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने इसे अपने जीवन में जिया।
करियर की शुरुआत और शुरुआती संघर्ष
मनोज कुमार का जन्म 1937 में पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत के लाहौर के एबटाबाद में हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी के रूप में हुआ था। विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आ गया और दिल्ली में शरण ली।
1956 में, मनोज कुमार मुंबई पहुंचे और 1957 में फिल्म ‘फैशन’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने एक 90 वर्षीय भिखारी की भूमिका निभाई थी। अपने अभिनय कौशल और दृढ़ संकल्प के कारण, उन्होंने जल्द ही फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बना ली। शुरुआती दौर में उन्होंने ‘हरियाली और रास्ता’, ‘वो कौन थी’, ‘गुमनाम’, ‘दो बदन’, और ‘हिमालय की गोद’ जैसी सफल फिल्में दीं। लेकिन उनका करियर तब नई ऊंचाइयों पर पहुंचा जब उन्होंने फिल्म 'शहीद' में भगत सिंह की भूमिका निभाई। यह उनके करियर की सबसे यादगार और प्रेरणादायक भूमिकाओं में से एक बनी।
'उपकार' और निर्देशन की शुरुआत
मनोज कुमार ने अपने निर्देशन करियर की शुरुआत फिल्म ‘उपकार’ से की। इस फिल्म के निर्माण के पीछे की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी भी निर्देशक बनने की योजना नहीं बनाई थी, लेकिन फिल्म ‘शहीद’ के दौरान उन्हें अनौपचारिक रूप से निर्देशन की बागडोर संभालनी पड़ी।
उस दौरान, तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया, जिसने मनोज कुमार को बेहद प्रभावित किया। इस नारे से प्रेरित होकर उन्होंने 'उपकार' बनाने का फैसला किया। उन्होंने इस फिल्म में एक किसान और एक सैनिक दोनों की भूमिका निभाई और देश के प्रति किसानों और जवानों के योगदान को शानदार तरीके से प्रस्तुत किया। इस फिल्म को बनाने के लिए उन्होंने अपनी निजी संपत्ति तक बेच दी थी। ‘उपकार’ की सफलता के बाद ही उन्हें ‘भारत कुमार’ की उपाधि दी गई।
सिनेमा के प्रति समर्पण
मनोज कुमार के लिए सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं था, बल्कि यह उनके लिए समाज को जागरूक करने का जरिया था। उन्होंने अपनी फिल्मों में हमेशा देशभक्ति और समाज सुधार जैसे विषयों को प्राथमिकता दी। ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘क्रांति’, ‘पूरब और पश्चिम’ जैसी फिल्में इसी सोच का परिणाम थीं। इन फिल्मों में उन्होंने भारतीय समाज की विभिन्न समस्याओं को उजागर किया और समाधान भी प्रस्तुत किए।
‘उपकार’ के लिए मिले कई पुरस्कार
फिल्म ‘उपकार’ को जबरदस्त सफलता मिली और इसने कई फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते। इस फिल्म के लिए मनोज कुमार को सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ कहानी, सर्वश्रेष्ठ संवाद और सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया। फिल्म का प्रसिद्ध गीत ‘मेरे देश की धरती’ आज भी लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाता है।
उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था, “देशभक्ति मेरे खून में है। मुझे देशभक्ति की भावना और साहित्य के प्रति प्रेम अपने पिता से और सही धार्मिक व नैतिक मूल्य अपनी मां से विरासत में मिले हैं।” ‘भारत कुमार’ की उपाधि को लेकर उन्होंने कहा था, “भारत का ताज जो भारतवासियों ने मुझे दिया, उसे निभाना मेरे लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोज कुमार के निधन पर दुख प्रकट करते हुए कहा, “महान अभिनेता और फिल्मकार मनोज कुमार के निधन से बहुत दुःख हुआ। वे भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे, जिन्हें खासतौर पर उनकी देशभक्ति की भावना के लिए याद किया जाता था। उनके कामों ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को जगाया और वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”
मनोज कुमार की विरासत अमर रहेगी
मनोज कुमार ने सिनेमा के माध्यम से जो योगदान दिया, उसे भुलाया नहीं जा सकता। उनकी फिल्मों ने भारतीय समाज और युवा पीढ़ी को देशभक्ति की प्रेरणा दी। उनकी स्मृति सिनेमा प्रेमियों और देशभक्तों के दिलों में हमेशा जीवित रहेगी। उनका जाना भारतीय सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी बनाई हुई फिल्में और उनके विचार उन्हें हमेशा अमर बनाए रखेंगे।
मनोज कुमार को उनकी अद्भुत अभिनय क्षमता, निर्देशन कौशल और देशभक्ति से भरी फिल्मों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। भारतीय सिनेमा के इतिहास में ‘भारत कुमार’ का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।