जाति जनगणना को लेकर बड़ा अपडेट आया सामने, जानें किस तारीख से होगी शुरू

Authored By: News Corridors Desk | 04 Jun 2025, 05:42 PM
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देश में 1 मार्च 2027 से जनगणना कराई जाएगी, जो दो चरणों में संपन्न होगी। यह जनगणना ऐतिहासिक मानी जा रही है क्योंकि इसमें पहली बार जाति आधारित गणना भी की जाएगी। इससे पहले यह प्रक्रिया 2011 में सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) के रूप में की गई थी, लेकिन उसे जनगणना के आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया था।

 बर्फीले राज्यों में अक्टूबर 2026 से होगी शुरुआत

लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे ठंडे और दुर्गम क्षेत्रों में जनगणना की प्रक्रिया अक्टूबर 2026 में ही प्रारंभ कर दी जाएगी। इन राज्यों में मौसम की चुनौतियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है ताकि समय पर और सुचारू रूप से आंकड़े एकत्रित किए जा सकें।

जनगणना 2027 की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि इसमें नागरिकों से उनकी जाति की जानकारी भी पूछी जाएगी। इस उद्देश्य के लिए जनगणना प्रपत्र में जाति के लिए एक अलग कॉलम जोड़ा गया है। जनगणना कर्मचारी घर-घर जाकर यह जानकारी एकत्रित करेंगे।

 जातीय आंकड़ों के महत्व पर जोर

जातिगत जनगणना से सरकार को विभिन्न जातियों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति का व्यापक डेटा मिलेगा। इससे नीतियों और योजनाओं को ज्यादा लक्षित और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह डेटा आरक्षण नीति, सामाजिक न्याय और संसाधनों के पुनर्वितरण जैसे मुद्दों पर निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

जनगणना एक राष्ट्रीय स्तर की प्रक्रिया है जिसमें देश के प्रत्येक व्यक्ति से संबंधित जानकारी एकत्र की जाती है। यह प्रक्रिया हर दस साल में एक बार होती है। इसमें जनसंख्या, लिंग, आयु, शिक्षा, पेशा, भाषा, विवाह की स्थिति जैसी विविध जानकारियाँ शामिल होती हैं।


बता दें सरकार इस डेटा का उपयोग:नीति निर्माण, बजट योजना, संसाधनों का वितरण, सामाजिक कल्याण योजनाओं की निगरानी जैसे उद्देश्यों के लिए करती है।जातीय जनगणना को लेकर लंबे समय से राजनीतिक बहस चल रही थी। कई विपक्षी और सत्तारूढ़ दलों ने इसकी मांग की थी। केंद्र सरकार ने अब इस पर मुहर लगा दी है।

विशेषज्ञों का मानना है कि जातीय आंकड़ों के सार्वजनिक होने के बाद देश में:

50% आरक्षण की सीमा को लेकर पुनर्विचार

नई सामाजिक श्रेणियों को आरक्षण में शामिल करने की मांग

राजनीतिक दलों की रणनीतियों में बदलाव

जैसे बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।