भारत में 25 जून 1975 को लागू किए गए आपातकाल को 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर केंद्रीय कैबिनेट ने विशेष प्रस्ताव पारित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस ऐतिहासिक घटना को याद करते हुए लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष करने वालों को श्रद्धांजलि दी गई।
कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव में 1975 में लगाए गए आपातकाल की कड़ी निंदा की गई और उस समय लोकतंत्र को कुचलने के प्रयासों को संविधान के खिलाफ बताया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि आपातकाल के दौरान देशभर में नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की स्वतंत्रता पर ताले जड़ दिए गए और हजारों निर्दोष लोगों को बिना किसी सुनवाई के जेलों में डाल दिया गया।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी कैबिनेट मंत्रियों ने आपातकाल के पीड़ितों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा । कैबिनेट ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए उस समय जो लोग तानाशाही के खिलाफ खड़े हुए, उन्होंने देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को जीवित रखने में अहम भूमिका निभाई । सरकार ने इन लोगों को "लोकतंत्र सेनानी" की संज्ञा दी और युवाओं से अपील की कि वे उनके जीवन और संघर्ष से प्रेरणा लें।
स्वतंत्रता और गरिमा का हनन
कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को बताया कि आपातकाल के दौरान न सिर्फ राजनीतिक कार्यकर्ताओं ही नहीं बल्कि आम नागरिकों की स्वतंत्रता भी छीनी गई। उन्होंने कहा कि उस समय जो हुआ, वह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय था। आज जब हम उसकी 50वीं बरसी पर खड़े हैं, तो उन वीरों को याद करना ज़रूरी है जिन्होंने अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई ।
मोदी सरकार का मानना है कि ऐसे लोगों की स्मृति केवल सम्मान का विषय नहीं है, बल्कि एक प्रेरणा है कि देश को कभी भी लोकतंत्र से पीछे नहीं हटना चाहिए। कैबिनेट ने इस मौके पर सभी नागरिकों, खासकर युवाओं से अपील की कि वे संवैधानिक मूल्यों, नागरिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सदैव सजग रहें।
कैबिनेट की बैठक में तीन बड़े फैसले
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में तीन बड़े फैसले लिए गए । इनमें पुणे शहर में मेट्रो रेल परियोजना के विस्तार के लिए 3,626 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इससे शहर के लाखों यात्रियों को सुविधाजनक और तेज़ यात्रा का लाभ मिलेगा। परियोजना से ट्रैफिक जाम में भी कमी आने की उम्मीद है।
झारखंड के झरिया क्षेत्र में पिछले कई दशकों से चल रही भूमिगत कोयला आग की समस्या के स्थायी समाधान के लिए 5,940 करोड़ रुपये के संशोधित मास्टर प्लान को भी स्वीकृति दी गई । इस योजना के तहत आग बुझाने के साथ-साथ वहां के प्रभावित लोगों का पुनर्वास भी किया जाएगा।
कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश के आगरा में 111 करोड़ रुपये की लागत से एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का आलू अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के फैसले पर भी मुहर लगा दी है । यह केंद्र आलू की उन्नत किस्मों पर शोध करेगा और किसानों को नई तकनीक व जानकारी उपलब्ध कराएगा। इससे कृषि क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी और निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।