मंगलवार को सरकार ने जैसे ही वक्फ संशोधन बिल को लोकसभा में पेश करने की घोषणा की, देश की राजधानी में सियासी हलचल तेज हो गई । बयानों के सिलसिले के बीच सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी । सदन के भीतर के गणित को पुख्ता करने के लिए जोड़-तोड़ शुरू हो गई ।
रणनीति को फाइनल शेप देने के लिए एक अप्रैल की शाम बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर महत्वपूर्ण बैठक हुई । इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद रहे । इसके अलावा पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, अश्विनी वैष्णव और भूपेन्द्र यादव भी मौजूद रहे।
उधर, विपक्षी दलों की भी इस मुद्दे पर लामबंदी तेज हो गई है । इंडिया गठबंधन के घटक दलों की भी बैठक हुई जिसमें वक़्फ़ संशोधन बिल को लेकर मंथन हुआ ।
सभी प्रमुख दलों ने व्हिप जारी किया
जेडीयू ने अपने सांसदों को 2 से 4 अप्रैल तक सदन की कार्यवाही में मौजूद रहने का व्हिप जारी किया है । चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने भी इस बिल के समर्थन में अपना रुख साफ कर दिया है ।
वक्फ संशोधन बिल को लेकर सभी प्रमुख दलों ने व्हिप जारी कर दिया है और अपने लोकसभा और राज्यसभा सांसदों से 2 से 4 अप्रैल तक सदन में मौजूद रहने को कहा है । इससे पहले मंगलवार को जब लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बिल को लेकर विपक्षी दलों पर गलत जानकारी फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया ।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर जोरदार हंगामा भी किया, और इसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक से वॉकआउट भी किया ।
भारत में कैसे होता है वक्फ प्रबंधन ?
भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ अधिनियम, 1995 के मुताबिक़ किया जाता है । केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम 1995 के तहत कई प्रशासनिक निकाय बनाए हैं । केंद्रीय वक्फ परिषद सरकार और राज्य वक्फ बोर्डों को नीति पर सलाह देती है । केंद्रीय वक़्फ़ परिषद अभी वक्फ संपत्तियों को सीधे नियंत्रित नहीं करती है ।
राज्य वक्फ बोर्ड प्रत्येक राज्य में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं और सुरक्षा देते हैं । वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों को संभालने के लिए विशेष न्यायिक निकाय वक्फ न्यायाधिकरण है ।
वक़्फ़ बिल में संशोधन क्यों ज़रूरी ?
पिछले कुछ वर्षों में वक़्फ़ को लेकर कई तरह की शिकायतें आने लगीं जिसके बाद इसमें बदलाव की ज़रूरत महसूस की गई । आख़िर वो कौन से मसले हैं, जिनकी वजह से प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली सरकार को वक़्फ़ बिल में संशोधन करने की ज़रूरत पड़ी ?
दरअसल वक्फ संपत्तियों की अपरिवर्तनीयता एक बड़ा मुद्दा रहा है । एक बार वक्फ तो हमेशा वक्फ के सिद्धांत को लेकर काफी विवाद है । इसके अलावा अन्य कानूनी विवादों और कुप्रबंधन की वजह से वक़्फ़ विवादों में घिरता गया । वक्फ अधिनियम, 1995 और 2013 का संशोधन प्रभावकारी नहीं रहा ।
वक्फ भूमि पर अवैध कब्ज़ा और स्वामित्व विवाद बढ़ते चले गए । संपत्ति पंजीकरण और सर्वेक्षण में देरी की वजह से वक़्फ़ सवालों में घिर गया । बड़े पैमाने पर मुकदमे हुए और मंत्रालय को शिकायतें मिलने लगीं ।
एक तरफ़ वक्फ के ख़िलाफ़ शिकायतों की फाइल मोटी होती गई और दूसरी तरफ़ वक़्फ़ न्यायाधिकरणों की तरफ़ से समय से फ़ैसले नहीं हुए । जो फ़ैसले हुए भी उनको दोनों पक्ष मानने को तैयार नहीं नज़र आए । लेकिन मुसीबत ये थी कि वक्फ न्यायाधिकरणों द्वारा लिए गए निर्णयों को उच्च न्यायालयों में चुनौती नहीं दी जा सकती थी । इससे वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही कम होती गई ।
वक्फ संपत्तियों का आधा-अधूरा सर्वेक्षण एक बड़ी समस्या बन गया । सर्वेक्षण आयुक्तों का काम भी संतोषजनक नहीं रहा है । इसकी वजह से मामले उलझते चले गए । गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अभी तक सर्वेक्षण शुरू नहीं हुआ है ।उत्तर प्रदेश में 2014 में जिन संपत्तियों के सर्वेक्षण का आदेश दिया गया, वो भी लंबित हैं
सर्वेक्षण में विशेषज्ञता की कमी और राजस्व विभाग के साथ खराब समन्वय ने पंजीकरण प्रक्रिया को धीमा कर दिया और इससे वो लोग परेशान होते रहे, जिनकी ज़मीन पर वक़्फ़ का क़ब्ज़ा हो चुका था । वक़्फ़ क़ानून के तहत मिली शक्तियों का दुरुपयोग जिस तरह से बढ़ता चला गया उसकी वजह से सामुदायिक तनाव भी बढ़ा ।
निजी संपत्तियों को मनमाने तरीक़े से वक्फ संपत्ति घोषित किया जाने लगा । वक्फ अधिनियम की धारा 40 का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया जिससे कई इलाक़ों में कानूनी लड़ाई बढ़ी और अशांति का माहौल बनने लगा ।
वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर सवाल

30 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में से ज़्यादातर सरकारों ने डेटा नहीं जुटाया । केवल 8 राज्यों ने डेटा दिया, जहां धारा 40 के तहत 515 संपत्तियों को वक्फ घोषित किया गया । ऐसे में वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता का सवाल उठने लगा ।
दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि ये बिल धर्म के आधार पर भेदभाव करता है । वक्फ अधिनियम केवल एक धर्म पर लागू होता है, जबकि अन्य के लिए कोई समान कानून मौजूद नहीं है । दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है । इन सभी वजहों से केंद्र सरकार ने वक़्फ़ क़ानून में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की ।
वक़्फ़ बिल में संशोधन के लिए सहमति की कोशिश
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने विभिन्न हितधारकों से परामर्श किया और सच्चर समिति की रिपोर्ट का अध्ययन किया गया । राज्य वक़्फ़ बोर्ड से परामर्श के साथ-साथ जन प्रतिनिधियों, मीडिया और आम जनता से वक़्फ़ क़ानून को लेकर फ़ीडबैक लिया गया । इसके बाद मंत्रालय ने वक्फ अधिनियम, 1995 के प्रावधानों की समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की । 24 जुलाई 2023 को लखनऊ में और 20 जुलाई 2023 को नई दिल्ली में दो बड़ी बैठक हुई ।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कुप्रबंधन, वक्फ अधिनियम की शक्तियों के दुरुपयोग और वक्फ संपत्तियों के बेजा इस्तेमाल को लेकर जताई जा रही चिंताओं पर मंथन किया । प्रभावित हितधारकों की समस्याओं को हल करने के लिए इस अधिनियम में उपयुक्त संशोधन करने के लिए आम सहमति बनाई गई ।
वक़्फ़ बिल में संशोधन से क्या होगा ?

वक़्फ़ बिल में संशोधन से केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की संरचना को नया विस्तार मिलेगा । मुतवल्लियों की भूमिका और जिम्मेदारियां तय की जाएंगी और उनके द्वारा खातों की फाइलिंग की जाएंगी । इसके साथ ही वार्षिक खाता फाइलिंग में सुधार किया जाएगा । न्यायाधिकरणों का पुनर्गठन किया जाएगा और पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार होगा । टाइटल्स की घोषणा की जाएगी, वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण समयबद्ध तरीक़े से होगा और वक्फ संपत्तियों का म्यूटेशन किया जाएगा ।
इसके अलावा, मंत्रालय ने सऊदी अरब, मिस्र, कुवैत, ओमान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की जैसे अन्य देशों में वक्फ प्रबंधन पर अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं का भी विश्लेषण किया है और पाया है कि वक्फ संपत्तियों को आम तौर पर सरकार की ओर से बनाए गए कानूनों और संस्थानों के ज़रिए ही संरक्षित किया जाता है ।
वक़्फ़ संशोधन बिल पर चर्चा में शामिल संस्थाएँ
वक्फ संशोधन बिल तैयार करने से पहले सरकार ने कई मुस्लिम संस्थाओं को भी विचार-विमर्श में शामिल किया । इनमें ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलमा, मुंबई,इंडियन मुस्लिम्ज़ ऑफ सिविल राइट्स (IMCR), नई दिल्ली, मुत्तहेदा मजलिस-ए-उलेमा, जेएंडके (मीरवाइज उमर फारूक), जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया, अंजुमन ए शीतली दाऊदी बोहरा समुदाय, चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना, ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज, दिल्ली, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), दिल्ली, ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल (AISSC), अजमेर, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, दिल्ली, मुस्लिम महिला बौद्धिक समूह - डॉ. शालिनी अली, राष्ट्रीय संयोजक जमीयत उलमा-ए-हिंद, दिल्ली, शिया मुस्लिम धर्मगुरु और बौद्धिक समूह दारुल उलूम देवबंद शामिल है ।
इन सभी संगठनों से गहन चर्चा के बाद वक़्फ़ बिल में संशोधन का मसौदा तैयार किया गया है । प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य बेहतर प्रशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करके देश में वक्फ प्रशासन में बदलाव लाना है। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक सुव्यवस्थित, प्रौद्योगिकी-संचालित और कानूनी रूप से मजबूत फ्रेमवर्क तैयार करना है ।