मालेगांव ब्लास्ट के बाद मोहन भागवत को गिरफ्तार करने की थी साजिश,पूर्व एटीएस अधिकारी का बड़ा खुलासा!

Authored By: News Corridors Desk | 01 Aug 2025, 01:59 PM
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2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाके के बाद साजिश की जड़ें कितनी गहरी थी, इसको लेकर एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है । इस मामले में महाराष्ट्र एटीएस की जांच टीम का हिस्सा रहे महबूब मुजावर ने यह बयान दिया है । मुजावर ने दावा किया है कि उनसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस) के  प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था ।

उन्होंने बताया कि सीनियर अधिकारी परमबीर सिंह और उनके ऊपर के अफसरों ने उनसे मोहन भागवत को गिरफ्तार करने को कहा था जबकि उनका इस मामले से कोई संबंध नहीं था । ऐसा इसलिए कहा गया था ताकि मालेगांव धमाके के पीछे ‘हिंदू आतंकवाद' के नैरेटिव को स्थापित किया जा सके । 

'जांच को जानबूझकर गलत दिशा में मोड़ा गया'

महबूब मुजावर ने अदालत में बताया कि मालेगांव विस्फोट की जांच को सही तरीके से नहीं किया गया । उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ ऐसे काम करने को कहा गया जिनका विस्फोट से कोई लेना-देना नहीं था । मुजावर ने कहा कि जांच टीम में रहते हुए उनसे ऐसे काम करने को कहा गया जिनका धमाके से कोई लेना-देना नहीं था । इस केस की आड़ में फर्जी तरीके से कुछ लोगों को फंसाया गया ।

महबूब मुजावर ने अदालत में कहा कि जिन दो लोगों,रामजी कालसंगरा और संदीप डांगे को भगोड़ा बताया गयाउन्हें पुलिस पहले ही मार चुकी थी । इसके अलावा एक तीसरा व्यक्ति दिलीप पाटीदार भी मारा गया था, लेकिन उसे कभी आरोपी नहीं बनाया गया।

एटीएस की जांच टीम का हिस्सा रहे मुजावर का दावा है कि इनकी जगह साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित को जानबूझकर आरोपी बना दिया गया । एटीएस के तत्कालीन उप प्रमुख परमबीर सिंह की ओर इशारा करते हुए मुजावर ने कहा कि एक गलत व्यक्ति के द्वारा की गई गलत जांच का परिणाम आज सामने आ गया है ।

'जब मैंने इनकार किया, तो मुझे ही फंसा दिया गया'

महबूब मुजावर ने कहा कि जब उन्होंने भागवत को गिरफ्तार करने से मना किया, तो उन्हें झूठे केस में फंसा दिया गया । हालांकि बाद में वह इससे बरी हो गए । मुजावर ने यह भी बताया कि उन्होंने इस फर्जी जांच के सबूत एनआईए कोर्ट को दे दिए हैं।

गौरतलब है कि 31 जुलाई को एनआईए की विशेष कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कर्नल पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था ।  कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत और गवाह मौजूद नहीं हैं. अदालत ने कहा कि सिर्फ नैरेटिव के आधार पर किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता ।

जस्टिस एके लाहोटी ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं करता । अदालत के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए महबूब मुजावर ने कहा कि आतंकवाद चाहे भगवा हो या हरा, समाज के लिए सही नहीं है ।  

क्या है पूरा मामला ? 

29 सितंबर 2008 को मालेगांव के भिक्कू चौक के पास एक मस्जिद के पास बम धमाका हुआ था। उस समय रमजान का महीना चल रहा था। इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 95 लोग घायल हुए थे । पहले इस केस की जांच महाराष्ट्र एटीएस कर रही थी । बाद में मामला एनआईए को सौंप दिया गया।

मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर,कर्नल पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, अजय रहीरकर, समीर कुलकर्णी, सुधाकर द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी को आरोपी बनाया गया था।
कोर्ट ने 300 से ज्यादा गवाहों की सुनवाई की । इनमें से 40 गवाह अपने बयान से मुकर गए, 40 की गवाही खारिज कर दी गई और 40 की मौत हो गई। सबूत न होने की वजह से कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया ।