भारत ने वायु रक्षा ( एयर डिफेंस ) के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है । 23 अगस्त 2025 को दोपहर करीब 12:30 बजे, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के तट से एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया । यह प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और भारत की बहु-स्तरीय वायु सुरक्षा को एक नई मजबूती देती है।
IADWS एक बहु-स्तरीय एयर डिफेंस सिस्टम है । इसमें QRSAM, VSHORADS और लेजर आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) शामिल हैं । इन तीनों के संयोजन से यह प्रणाली एक मजबूत सुरक्षा कवच बनाती है, जो देश के संवेदनशील क्षेत्रों को हवाई खतरों से बचाने में सक्षम है।
क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM):दुश्मन पर फौरन वार
क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) दुश्मन के विमानों और मिसाइलों पर तुरंत प्रतिक्रिया देती है । यह मिसाइल 3 से 30 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को भेद सकती है और 98 फीट से 33,000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ रहे लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। इसकी गति मैक 4.7 यानी लगभग 5757 किलोमीटर प्रति घंटा है ।
इसमें स्वदेशी रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर लगे हैं । इसके अलावा इस सिस्टम में मोबाइल लॉन्चर, ऑटोमेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, सर्विलांस और मल्टी-फंक्शन राडार होता है । इसमें 32 किलोग्राम तक का वॉरहेड लगाया जा सकता है और इसे छह ट्यूब वाले मोबाइल लॉन्चर ट्रक से दागा जा सकता है। इस मिसाइल की खासियत है कि अपने टारगेट का पीछा करके मारता है.
एडवांस्ड वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VShorAD):ड्रोन, हेलिकॉप्टर और फाइटर जेट्स के लिए काल
एडवांस्ड वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VShorAD ) पास से आने वाले खतरे जैसे ड्रोन, हेलीकॉप्टर और फाइटर जेट को रोकने में सक्षम है। इसकी रेंज 250 मीटर से 6 किलोमीटर तक है और यह अधिकतम 11,500 फीट की ऊंचाई तक मार कर सकता है। यह 1800 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दुश्मन के लक्ष्य को निशाना बनाता है। इसका वजन 20.5 किलोग्राम है और इसमें ड्यूल बैंड IIR सीकर, मिनिएचर रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम और इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स जैसी उन्नत तकनीकें लगी हैं।
अभी तक इसे जमीन पर रखे मैन पोर्टेबल लॉन्चर से दागा जाता था । अब इस लॉन्चर को ट्रक, बख्तरबंद वाहन, टैंक आदि पर भी तैनात किया जा सकता है । इसका मतलब यह है कि इसे आसानी से चीन सीमा से सटे पहाड़ों या पाकिस्तान से सटी रेगिस्तानी सीमा पर भी तैनात किया जा सकता है ।
डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) : भारत का लेजर वारियर
IADWS प्रणाली का तीसरा प्रमुख हिस्सा डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) है, जो लेजर तकनीक पर आधारित है। यह उच्च शक्ति वाला हथियार है, जो दुश्मन के हवाई लक्ष्यों को बिना विस्फोटक के सिर्फ ऊर्जा किरणों से नष्ट करने में सक्षम है। यह प्रणाली आधुनिक युद्ध में गेमचेंजर साबित हो सकती है।
‘सुदर्शन चक्र’ नाम और उसके मायने
इस पूरी एयर डिफेंस प्रणाली को भारत सरकार ने ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया है। इसका नाम भगवान विष्णु के पौराणिक शस्त्र से लिया गया है, जो दुश्मनों का विनाश करने का प्रतीक है। DRDO और इसरो ने मिलकर इस सिस्टम को विकसित किया है। यह एक ग्राउंड-बेस्ड और स्पेस-बेस्ड हाइब्रिड सिस्टम है, जिसमें रडार नेटवर्क और सैटेलाइट तकनीक का उपयोग किया गया है।
यह प्रणाली 2500 किलोमीटर तक दुश्मन की मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकती है और 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक हवा में हमला रोक सकती है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और लेजर-गाइडेड तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। यह बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और हाइपरसोनिक हथियारों को भी रोकने में सक्षम होगी।
सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक यह प्रणाली पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाए। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर इस सिस्टम को 'सुदर्शन चक्र' नाम देने की घोषणा की थी।