रेलवे को मिला सुरक्षा का 'कवच':ट्रेनों के आमने-सामने आने पर लगेगा ऑटोमेटिक ब्रेक

Authored By: News Corridors Desk | 22 Aug 2025, 07:33 PM
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भारतीय रेलवे अब सिर्फ तेज़ ही नहीं, बल्कि सुरक्षित सफर को सुनिश्चित करने की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है । इसी कड़ी में रेलवे ने एक बड़ा कदम उठाया है। भारतीय रेलवे द्वारा विकसित स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम ‘कवच’ (KAVACH) को अब दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नेटवर्क पर लागू किया जा रहा है । 

यह तकनीक ट्रेनों के बीच टक्कर रोकने के लिए बनाई गई है । इससे लोको पायलट को केबिन में ही रियल टाइम में सिग्नल की जानकारी मिलती है। ‘कवच’ सिस्टम स्टेशन के इंटरलॉकिंग सिस्टम और इंजन के बीच डेटा का आदान-प्रदान करता है, जिसमें मजबूत वायरलेस नेटवर्क की मदद ली जाती है। ट्रैक पर लगे RFID टैग्स ट्रेन की सटीक स्थिति बताकर दुर्घटनाओं से बचाव सुनिश्चित करते हैं।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने कवच सिस्टम को नागपुर से झारसुगुड़ा रेल सेक्शन में लगाना शुरू किया है। इस हफ्ते भिलाई इलेक्ट्रिक लोको शेड में WAP-7 नंबर 37704 इंजन पर इस तकनीक की सफल फिटिंग की गई। इस मौके पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे  के मुख्य विद्युत इंजीनियर और रायपुर के मंडल रेल प्रबंधक भी मौजूद थे।

इस प्रोजेक्ट की निगरानी स्वयं महाप्रबंधक श्री तरुण प्रकाश कर रहे हैं। उनका कहना है कि आने वाले समय में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सभी इंजनों में यह प्रणाली चरणबद्ध तरीके से लगाई जाएगी, सभी ट्रेनें और सुरक्षित बन सकें।

कैसे काम करता है ‘कवच’ सिस्टम?

कवच तकनीक ट्रेन और स्टेशन के सिग्नल सिस्टम के बीच एक वायरलेस नेटवर्क बनाती है। इसके ज़रिए स्टेशन से ट्रेनों को सीधे सिग्नल की जानकारी भेजी जाती है। ट्रेन के ट्रैक पर लगे RFID टैग्स इंजन की सटीक लोकेशन बताते हैं, जिससे लोको पायलट को ट्रैक, सिग्नल, स्पीड लिमिट और आगे आने वाले खतरों की तुरंत जानकारी मिलती है । 

जब ट्रेन ज्यादा रफ्तार में होती है या सामने से कोई दूसरी ट्रेन आ रही होती है, तो ये सिस्टम खुद ही ब्रेक लगा देता है। इससे हादसे की संभावना बहुत कम हो जाती है। इसके साथ ही, यह तकनीक ट्रेन की स्पीड को सिग्नल से स्वचालित रूप से इंटरलॉक कर देती है, जिससे ट्रेन संचालन पूरी तरह नियमों के अनुसार होता है। इससे तेज़ रफ्तार पर भी ट्रेनें सुरक्षित तरीके से चलाई जा सकती हैं।

इस सिस्टम से क्या फायदे होंगे ?

‘कवच’ सिस्टम के लगने से ट्रेन के सामने दूसरी ट्रेन आने पर खुद ब्रेक लग जाएगा । अगर ट्रेन रफ्तार की सीमा को पार कर रही हो तो रुक जाएगी । लोको पायलट को स्टेशन और सिग्नल की जानकारी तुरंत मिलेगी जिससे वह जल्दी जरूरी निर्णय ले सकेगा । इससे हाई स्पीड ट्रेनों का संचालन भी ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा ।

बता दें कि रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में मार्च 2022 में दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल में लिंगमपल्ली-विकाराबाद खंड पर गुल्लागुडा-चिटगिड्डा स्टेशनों के बीच इसका सफल परीक्षण किया गया था ।