इको-फ्रेडली परिवहन की ओर रेलवे का बड़ा कदम ! रेल मंत्री ने साझा की हाइड्रोजन ट्रेन की पहली झलक

Authored By: News Corridors Desk | 13 Aug 2025, 02:06 PM
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भारतीय रेलवे ने इको-फ्रेंडली ( पर्यावरण के अनुकूल ) परिवहन की दिशा में एक बड़ा और क्रांतिकारी कदम उठाया है । अब जल्द ही हाइड्रोजन से चलने वाली देश की पहली ट्रेन पटरी पर दौड़ती नजर आएगी । रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस ट्रेन की पहली झलक साझा की है ।

 रेलवे की इस सफलता के साथ ही भारत अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल होने जा रहा है जिन्होंने रेल परिवहन में हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी को अपनाया है । इससे पहले जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन में इस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। 

जींद-सोनीपत के बीच चलेगी पहली हाइड्रोजन ट्रेन

यह विशेष ट्रेन हरियाणा के जींद और सोनीपत के बीच चलाई जाएगी। इसकी खास बात यह है कि यह दुनिया की सबसे लंबी और सबसे अधिक क्षमता वाली हाइड्रोजन ट्रेन होगी । एक बार में लगभग 2,600 यात्री इसमें सफर कर सकेंगे। चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में इस ट्रेन के पहले कोच का सफल परीक्षण भी पूरा किया जा चुका है।

इस हाइड्रोजन ट्रेन की ताकत 1,200 हॉर्सपावर है। इसे मौजूदा डीज़ल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) रेक को बदलकर तैयार किया गया है। जुलाई में इसके ट्रायल का वीडियो रेल मंत्री ने साझा किया था, जिसमें इसे भविष्य के भारत की दिशा में एक "सस्टेनेबल और फ्यूचर-रेडी" कदम बताया गया।

35 और ट्रेनों की योजना

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राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि 'हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज' योजना के तहत 35 और हाइड्रोजन ट्रेनों को तैयार करने की योजना है। हर ट्रेन की लागत लगभग 80 करोड़ रुपये आंकी गई है, जबकि इन ट्रेनों के लिए जरूरी रूट इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 70 करोड़ रुपये का खर्च आएगा । 

हाइड्रोजन ईंधन की आपूर्ति के लिए जींद में एक विशेष केंद्र तैयार किया गया है। यहां एक मेगावॉट क्षमता वाला पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन (PEM) इलेक्ट्रोलाइज़र लगाया गया है, जो हर दिन लगभग 430 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा। इसके साथ ही हाई-स्पीड रीफ्यूलिंग के लिए कम्प्रेसर और दो डिस्पेंसर भी लगाए गए हैं।

रेलवे पटरियों की देखभाल के लिए भी हाइड्रोजन तकनीक का उपयोग करने जा रहा है। इसके लिए हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाले पांच टावर कार बनाए जा रहे हैं। प्रत्येक कार की कीमत करीब 10 करोड़ रुपये होगी और ये ट्रैक निरीक्षण व रखरखाव में प्रयोग होंगी।

हरित रेलवे की दिशा में क्रांतिकारी पहल

रेलवे की हाइड्रोजन ट्रेन परियोजना सिर्फ एक तकनीकी प्रयोग भर नहीं है । यह रेल परिवहन में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है । इससे केवल प्रदूषण कम नहीं होगा, बल्कि ऊर्जा के वैकल्पिक, स्वच्छ और टिकाऊ स्रोतों को अपनाने की दिशा में यह एक ठोस कदम है।

हाइड्रोजन आधारित इस तकनीक के माध्यम से रेलवे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले डीज़ल और कोयले जैसे परंपरागत ईंधनों पर अपनी निर्भरता को कम कर सकेगा । पर्यावरण के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में भी इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे । जैसे-जैसे ऐसी तकनीकों का दायरा बढ़ेगा, रेलवे की सर्विसेज पहले से कहीं अधिक स्मार्ट, सुरक्षित, स्वच्छ और टिकाऊ बनेंगी ।