भारतीय रेलवे सिर्फ यात्रियों को ही एक जगह से दूसरी जगह नहीं पहुंचा रहा है, बल्कि देश के विकास में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। देश की औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों को भी मजबूती से आगे बढ़ाने में रेलवे का बड़ा योगदान है । कोयला, सीमेंट, खाद्य अनाज, पेट्रोलियम और उर्वरक जैसी चीजें भी रेलवे के जरिए एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाई जाती हैं ।
लंबी दूरी की ढुलाई के लिए रेलवे, सड़क की तुलना में कहीं अधिक सस्ता और टिकाऊ विकल्प है। इससे न केवल समय और लागत की बचत होती है, बल्कि देशभर में सामानों की सप्लाई चेन को बनाए रखना भी आसान होता है। अब रेलवे अपने इसी फ्रेट सिस्टम को और तेज़ और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा क़दम उठा रही है।
गति शक्ति फ्रेट ट्रेन: माल ढुलाई को मिलेगी नई रफ्तार
भारतीय रेलवे अब 'गति शक्ति फ्रेट ट्रेन' की शुरुआत करने जा रही है। यह एक सेमी-हाई-स्पीड मालगाड़ी होगी, जिसे खासतौर पर ई-कॉमर्स और एफएमसीजी (तेजी से बिकने वाले उपभोक्ता उत्पाद) जैसे क्षेत्रों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया जा रहा है। इस ट्रेन का निर्माण चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में किया जा रहा है।
नई ट्रेन न केवल तेज़ गति से माल ढोएगी, बल्कि इसमें आधुनिक कंटेनर लोडिंग सिस्टम और चालक दल के लिए जरूरी सुविधाएँ भी होंगी। इससे सामान जल्दी और सुरक्षित तरीके से अपने गंतव्य तक पहुंचेगा।
रेलवे की माल ढुलाई में हुआ बड़ा इजाफा
रेलवे देश में एक जगह से दूसरी जगह तक सामान पहुंचाने की व्यवस्था की सबसे अहम कड़ी है । साल 2020-21 में रेलवे ने 1,233 मिलियन टन माल ढोया था, जो 2023-24 में बढ़कर 1,591 मिलियन टन हो गया। यानी सिर्फ तीन साल में 29% की बढ़त दर्ज की गई है।
इससे यह साफ होता है कि कंपनियां और सरकारें अब रेलवे पर पहले से ज्यादा भरोसा कर रही हैं। माल को रेल से भेजना न सिर्फ सस्ता है, बल्कि यह ईंधन की बचत करता है, सड़क पर ट्रैफिक कम करता है और पर्यावरण के लिहाज़ से भी फायदेमंद है।
अब केवल माल ढ़ुलाई के लिए विशेष ट्रैक
भारतीय रेलवे ने मालगाड़ियों के लिए दो खास रेल मार्ग तैयार किए हैं । पहला पूर्वी कॉरिडोर है, जो लुधियाना से सोननगर तक जाता है (1,337 किमी), और दूसरा है पश्चिमी कॉरिडोर, जो जेएनपीटी (मुंबई) से दादरी तक फैला है (1,506 किमी)। इन दोनों को मिलाकर कुल 2,843 किमी में से अब तक 2,741 किमी (लगभग 96.4%) ट्रैक पर ट्रेनें चलने लगी हैं।
इन विशेष ट्रैक पर साल 2024-25 में अब तक 1,30,116 मालगाड़ियाँ चलाई जा चुकी हैं। इससे माल ढुलाई पहले की तुलना में कहीं तेज़ और व्यवस्थित हो गई है।
कॉरिडोर आधारित योजना पर सरकार का फोकस
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 23 जुलाई 2025 को लोकसभा में जानकारी दी थी कि रेलवे अब अपने नेटवर्क की क्षमता बढ़ाने के लिए कॉरिडोर आधारित योजना पर काम कर रहा है। इसमें ऐसे रूट्स को प्राथमिकता दी जा रही है जहाँ से ज्यादा मात्रा में माल जैसे कोयला, खनिज, सीमेंट और ऊर्जा संसाधन भेजे जाते हैं।
इसका मकसद यह है कि जरूरी सामान बिना किसी देरी के देशभर में समय पर पहुंच सके और उद्योगों को काम में कोई रुकावट न आए। गति शक्ति फ्रेट ट्रेन और समर्पित कॉरिडोर जैसे कदमों से न केवल व्यापारियों और उद्योगपतियों को फायदा होगा, बल्कि आम आदमी को भी बेहतर सेवाएं मिलेंगी, क्योंकि जब सप्लाई चेन मज़बूत होगी, तो सामान समय पर और कम लागत में हर कोने तक पहुंचेगा।