भारतीय रेल को देश की जीवन रेखा कहा जाता है । रोजाना लाखों लोग इससे सफर करते हैं । परन्तु त्योहारी सीजन या फिर छुट्टियों के दौरान यात्रियों की भीड़ इतनी बढञ जाती है कि टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है । कभी सीट फुल तो कभी सर्वर डाउन ।
हो सकता है आप भी कभी इस तरह की परिस्थिति में फंसे हों और घंटों लाइन में लगने के बाद भी निराशा ही हाथ लगी हो । लेकिन अब इस तरह से परेशान होने की स्थिति नहीं आएगी । रेलवे अब एक ऐसा सिस्टम लेकर आ रहा है, जिससे टिकट बुकिंग पहले से कहीं ज्यादा आसान और तेज हो जाएगी । अब लोडिंग या सर्वर डाउन जैसे झंझट नहीं होंगे और कंफर्म टिकट भी मिनटों में आपके हाथ में होगा।
पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम को किया जा रहा है अपग्रेड
भारतीय रेलवे जल्द ही अपने मौजूदा पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (PRS) को पूरी तरह अपग्रेड करने जा रही है । अभी PRS सिस्टम हर मिनट में करीब 25,000 टिकट बुक कर पाता है। लेकिन सिस्टम के अपग्रेडेशन के बाद इसकी स्पीड चार गुना बढ़ जाएगी । यानि प्रति मिनट 1 लाख टिकटों की बुकिंग होगी ।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया कि रेलवे का PRS अब लेटेस्ट टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा। मौजूदा सिस्टम 2010 से चल रहा है और इसे अब क्लाउड-बेस्ड प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट किया जाएगा । क्लाउड बेस्ड सिस्टम से मतलब है कि अब एक प्रकार से वर्चुअल सर्वर होगा ।
इससे बुकिंग की रफ्तार तो बढ़ेगी ही, साथ ही सर्वर स्लो या डाउन होने की समस्या भी बहुत हद तक खत्म हो जाएगी। जरूरत पड़ने पर टेक्निकल दिक्कतों को भी कहीं से भी दूर किया जा सकेगा। अपग्रेड में हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्क और सिक्योरिटी सिस्टम को पूरी तरह बदला जाएगा । इसके बाद टिकट बुकिंग पहले से कहीं ज्यादा आसान, तेज़ और स्मार्ट हो जाएगी।
‘RailOne’ ऐप से कर सकते हैं टिकटों की बुकिंग
रेलवे ने हाल ही में एक नया ऐप ‘RailOne’ लॉन्च किया है । इसकी मदद से यात्री अब रिजर्व और अनरिजर्व दोनों तरह के टिकट बुक कर सकते हैं। इसके साथ ही एडवांस बुकिंग की समय-सीमा को भी 120 दिन से घटाकर 60 दिन कर दिया गया है। इससे अब लोगों को बहुत पहले से टिकट बुक कराने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और बेवजह की टिकट कैंसिलेशन भी कम होगी।
गैर-एसी डिब्बों में इजाफा से सामान्य यात्रियों को राहत
रेलवे ने आम यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए गैर-एसी डिब्बों की संख्या 70% तक बढ़ा दी है। इसके अलावा अगले 5 सालों में 17,000 नए नॉन-एसी कोच बनाए जाएंगे। क्योंकि ज्यादातर यात्री आज भी गैर-एसी डिब्बों को ही प्राथमिकता देते हैं, जो ज्यादा सस्ता और किफायती होता है।