प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनकी ताकत उनके नाम में नहीं, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों के समर्थन और भारतीय संस्कृति में निहित है । उन्होने कहा कि, जब मैं किसी विश्व नेता से हाथ मिलाता हूँ, तो वह मैं, मोदी, नहीं होता, बल्कि 1.4 अरब भारतीय ऐसा करते हैं । अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ने यह बात कही है । करीब 3 घंटे की लंबी बातचीत में प्रधानमंत्री ने अपनी जीवन यात्रा, विचारधारा, और नेतृत्व ( राजनैतिक जीवन ) के बारे में पूछे गए सवालों का खुलकर जवाब दिया है ।
लेक्स फ्रिडमैन के सवालों के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि वे न तो प्रकृति के खिलाफ युद्ध चाहते हैं और न ही राष्ट्रों के बीच झगड़े को बढ़ाना चाहते हैं । वे शांति के लिए खड़े हैं और इसे एक जिम्मेदारी मानते हैं ।
अपने बचपन , गांव ,गरीबी और स्वामी विवेकानंद और छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेने का जिक्र करते हुए, पीएम मोदी ने बताया कि उन्होंने अपनी शारीरिक और मानसिक सीमाओं का परीक्षण करते हुए जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश की । उन्होने माता-पिता और शिक्षकों के योगदान का भी जिक्र किया और अपने जीवन में आरएसएस के प्रभाव पर भी बोले ।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर भी अपनी बात कही । उन्होने बताया कि कैसे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था, लेकिन विश्वासघात का सामना करना पड़ा ।
पीएम मोदी ने भारत की वैश्विक भूमिका को स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत कभी किसी के सामने नहीं झुकेगा । रूस-यूक्रेन युद्ध का संदर्भ देते हुए उन्होंने शांति वार्ता की आवश्यकता पर बल दिया है ।
लेक्स फ्रिडमैन के पॉ़डकास्ट में पीएम मोदी की कही प्रमुख बातें :-
“मेरी ताकत मेरे नाम में नहीं है, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों के समर्थन में है”
पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक को साझा किया—उन्होने कहा, "मेरी ताकत मेरे नाम में नहीं है, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों के समर्थन और भारत की हजारों सालों पुरानी संस्कृति में निहित है ।" उन्होंने बताया कि जब भी वे किसी विश्व नेता से मिलते हैं, तो यह वे नहीं होते, बल्कि भारत की पूरी विरासत और 1.4 अरब भारतीयों का प्रतिनिधित्व होता है । भारत की शक्ति को उन्होंने हमेशा उसके लोग, उसकी संस्कृति, और उसकी गहरी ऐतिहासिक परंपराओं से जोड़ा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कि जब भारत शांति की बात करता है, तो दुनिया उसे सुनती है, क्योंकि भारत न केवल गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है, बल्कि यहां के लोग संघर्ष और टकराव के बजाय सामंजस्य और शांति को प्राथमिकता देते हैं।
“हम न तो प्रकृति के खिलाफ युद्ध छेड़ना चाहते हैं, न ही राष्ट्रों के बीच झगड़ा बढ़ाना चाहते हैं”
प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य कभी भी युद्ध या संघर्ष को बढ़ावा देना नहीं है । वे हमेंशा शांति के साथ खड़े हैं । जहां भी मौका मिले, वे शांति की भूमिका निभाने के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा, "हम न तो प्रकृति के खिलाफ युद्ध छेड़ना चाहते हैं, न ही राष्ट्रों के बीच झगड़ा बढ़ाना चाहते हैं ।" उन्होने कहा कि भारत ने हमेशा शांति के लिए खड़ा रहने की जिम्मेदारी निभाई है, और जहां भी आवश्यकता पड़ी है, उन्होंने शांति को बढ़ावा देने का प्रयास किया है।
स्वामी विवेकानंद और छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बचपन के दिनों में स्वामी विवेकानंद और छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनगाथाओं से मिली प्रेरणा के बारे में बताया । उन्होने बताया, "मैं एक बहुत छोटे कस्बे में बड़ा हुआ. हमारा जीवन समुदाय का हिस्सा होने के बारे में था । हम लोगों के बीच, उनके आसपास रहते थे । जीवन बस ऐसा ही था ।
गांव में एक पुस्तकालय था, और मैं वहां अक्सर किताबें पढ़ने जाता था. जब भी मैं किताबों से कुछ पढ़ता था, तो मुझे अक्सर प्रेरणा मिलती थी, सोचता था, ‘मुझे भी अपना जीवन ऐसा क्यों नहीं बनाना चाहिए?’ वह इच्छा हमेशा थी । जब मैं स्वामी विवेकानंद के बारे में पढ़ता था या छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में पढ़ता था, तो मैं अक्सर सोचता था, ‘उन्होंने कैसे जिया? उन्होंने इतना उल्लेखनीय जीवन कैसे बनाया?’ और इसके लिए, मैं लगातार अपने ऊपर प्रयोग करता था. मेरे ज्यादातर प्रयोग शारीरिक प्रकृति के थे, अपने शरीर की सीमाओं को परखते हुए।”
मां, पिता और शिक्षकों का जीवन में बड़ा योगदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरा जीवन मेरी माँ, मेरे पिता, मेरे शिक्षकों और जिस माहौल में मैं बड़ा हुआ, उससे आकार लिया है ।” उन्होने कहा कि समाज के प्रति सहानुभूति, दूसरों के लिए अच्छा करने की इच्छा, ये मूल्य मुझे मेरे परिवार से मिले ।
बचपन और अपनी मां की दयालुता का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, " “हम बेफिक्र रहते थे, जो भी थोड़ा बहुत हमारे पास था, उसका आनंद लेते थे और कड़ी मेहनत करते रहते थे. हमने कभी इन चीजों की शिकायत नहीं की...मेरी मां में दूसरों की भलाई की देखभाल करने की एक स्वाभाविक भावना थी ।
यह उनके अस्तित्व के ताने-बाने में बुनी हुई थी। उन्हें पारंपरिक उपचार और चिकित्सा पद्धतियों का ज्ञान था, और वे इन घरेलू उपचारों से बच्चों का इलाज करती थीं । हर सुबह सूरज उगने से पहले, लगभग पांच बजे, वे उनका इलाज शुरू कर देती थीं, इसलिए सभी बच्चे और उनके माता-पिता हमारे घर इकट्ठा हो जाते थे, छोटे बच्चे रोते रहते थे, और हमें इसके कारण जल्दी उठना पड़ता था। ”
प्रधानमंत्री ने कहा कि बचपन में काफी अभाव था लेकिन उन्होने कभी गरीबी के बारे में नहीं सोचा । उन्होने बताया कि कैसे वो बिना जूतों के स्कूल जाते थे फिर भी कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया कि दूसरे कैसे जी रहे हैं ।
गुजरात के मेहषाणा में स्थित अपने गृह नगर वडनगर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उनके जीवन की शुरुआत का स्थल था । वहां की संस्कृति, परंपराएं, और वातावरण उनके जीवन के मूल तत्व रहे हैं । उन्होंने बताया कि वडनगर में उनका बचपन और प्रारंभिक शिक्षा पूरी हुई, जो आज भी उनके विचारों और दृष्टिकोणों को आकार देती है ।
जीवन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के RSS के साथ कितने गहरे संबंध हैं इस बात का अंदाजा उनके इस वक्तव्य से लगाया जा सकता है । प्रधानमंत्री ने इसे अपना “सौभाग्य” (विशेषाधिकार) बताया कि वे इस अद्वितीय विरासत का हिस्सा बने । उन्होंने कहा कि वे खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें अपने जीवन का उद्देश्य और निस्वार्थ सेवा के मूल्य RSS से मिले ।
प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तर पर RSS द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की । उन्होंने कहा, “वामपंथी संघ कहते हैं – ‘दुनिया के मजदूरों, एक हो जाओ’ जबकि RSS का मजदूर संघ कहता है – ‘मजदूरों, दुनिया को एक करो.'” यह अंतर दिखाता है कि RSS अपने मूल्यों को किस तरह अपने दृष्टिकोण में आत्मसात करता है ।
पाकिस्तान की फिर से पोल खोली
अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में पीएम मोदी ने पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के अपने प्रयासों को भी साझा किया । उन्होंने बताया कि जब उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था, तो उनका उद्देश्य शांति की दिशा में एक कदम बढ़ाना था।
हालांकि, इन प्रयासों को विश्वासघात का सामना करना पड़ा, क्योंकि पाकिस्तान ने आतंकवाद का समर्थन किया और शांति की प्रक्रिया को विफल कर दिया। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि कि भारत हमेशा शांति के पक्ष में रहेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं, लेकिन उनकी सरकार आतंकवाद का समर्थन करती है, जो शांति की प्रक्रिया को बाधित करता है।