चीन के तिआनजिन शहर में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में हिस्सा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। यह बैठक तिआनजिन के एक गेस्ट हाउस में हुई । दोनों नेताओं के बीच लगभग एक घंटे तक द्विपक्षीय बातचीत चली ।
इसके बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दोस्ती और सहयोग पर जोर देते हुए कहा, “ड्रैगन (चीन) और हाथी (भारत) का एक साथ आना बहुत जरूरी है।” वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और चीन के 2.8 अरब लोगों के हित दोनों देशों के सहयोग से जुड़े हैं और यह मानवता के कल्याण का रास्ता खोल सकता है।
सात साल बाद चीन पहुंचे पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच की इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है । खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति के बाद जिस तरह से भू-राजनैतिक समीकरण बदले हैं, उसे देखते हुए दुनिया भर की नजरें इस बैठक पर टिकीं है ।
बहुपक्षीय सहयोग और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व पर जोर
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, 'पिछले साल कजान में हमारी बहुत ही उपयोगी चर्चा हुई जिसने हमारे संबंधों को सकारात्मक दिशा दी. सीमा पर सैनिकों की वापसी के बाद, शांति और स्थिरता का माहौल बना है ।' प्रधानमंत्री ने कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और भारत-चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स के फिर से शुरु होने की बात भी कही । मोदी ने भरोसा जताया कि भारत और चीन आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा, 'दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों के हित हमारे सहयोग से जुड़े हैं । इससे पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा । हम आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।' इसके साथ ही पीएम मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सफल अध्यक्षता के लिए
राष्ट्रपति शी जिनपिंग को बधाई दी । पीएम मोदी ने चीन आने के निमंत्रण और रविवार की मुलाकात के लिए जिनपिंग को धन्यवाद भी दिया ।
रणनीतिक सोच से देखें भारत-चीन संबंध- शी जिनपिंग
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें दोबारा देखकर खुशी हुई । उन्होंने भारत को SCO समिट में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया । उन्होंने बताया कि पिछले साल कज़ान में हुई दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद से भारत-चीन रिश्तों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है।
शी जिनपिंग ने इस साल भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों को अपने रिश्तों को एक दीर्घकालिक और रणनीतिक नजरिए से देखना चाहिए। शी जिनपिंग ने इस मुलाकात को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि दुनिया इस समय बड़े बदलावों के दौर से गुजर रही है । चीन और भारत न केवल दो प्राचीन सभ्यताएं हैं, बल्कि सबसे बड़ी आबादी वाले देश और ग्लोबल साउथ के अहम हिस्से भी हैं।
चीनी राष्ट्रपति ने चार प्रमुख सुझाव दिए जिसमें रणनीतिक संवाद को बढ़ावा देना, सहयोग और आदान-प्रदान को मजबूत करना, एक-दूसरे की चिंताओं का सम्मान करते हुए सीमा विवाद को पूरे रिश्ते पर हावी न होने देना और बहुपक्षीय सहयोग के ज़रिए एशिया और दुनिया में शांति व समृद्धि लाना शामिल है । उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में अधिक लोकतंत्र और मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर को बढ़ावा देना चाहिए।
चीनी विदेश मंत्रालय ने जारी किया आधिकारिक बयान
बैठक के बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी किया । इसमें जिसमें शी जिनपिंग के हवाले से कहा गया कि पिछले साल कज़ान में हुई मुलाकात ने भारत-चीन संबंधों को नई शुरुआत दी। तब से दोनों देशों के बीच सहयोग लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन को अपने-अपने लोगों के हित में, विकासशील देशों की एकता मजबूत करने और मानवता की प्रगति में योगदान देने के लिए साथ काम करना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस बात पर सहमति जताई कि भारत और चीन के बीच सहमति की बातें असहमति से कहीं ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि भागीदार हैं और मिलकर एशियाई सदी को और मजबूत बनाएंगे।
बैठक के दौरान और कौन-कौन था मौजूद
इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विक्रम मिसरी, चीन में भारत के राजदूत प्रदीप रावत, संयुक्त सचिव (ईस्ट एशिया) गौरांग लाल दास और पीएमओ के अतिरिक्त सचिव दीपक मित्तल शामिल थे। उधर, शी जिनपिंग की टीम में विदेश मंत्री वांग यी, प्रधानमंत्री ली कियांग, जनरल ऑफिस के डायरेक्टर काई ची और भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग मौजूद रहे।
कजान में मुलाकात के बाद रिश्तों में आया बदलाव
भारत और चीन के रिश्तों में कुछ नरमी पिछले साल अक्टूबर में देखने को मिली, जब ब्रिक्स समिट के दौरान दोनों नेताओं ने रूस के कजान शहर में मुलाकात की थी । इससे पहले दोनों नेता बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे से दूरी बनाए हुए थे । 2020 की गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद भारत-चीन रिश्ते सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे। इससे पहले डोकलाम विवाद भी दोनों देशों के बीच तनाव की वजह बना रहा ।
इस दौरान भारत की यूएस से नजदीकी बढ़ी और भारत को चीन के मुकाबले अमेरिका का एक अहम रणनीतिक साझेदार माना जाता था । जियो पॉलिटिक्स पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति ने अब उस समीकरण को बदल दिया है ।
प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को तिआनजिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करने वाले हैं। बता दें कि दोनों नेताओं की बैठक ऐसे समय में होने जा रही है जब अमेरिका ने भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद जारी रखने पर नाराजगी जताते हुए भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया है । इसमें 25% टैरिफ रूस से तेल खरीदने की पेनल्टी और 25% रेसिप्रोकल टैरिफ शामिल है।