1 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा छूने की राह पर तेजी से बढ़ती भारत की डिजिटल इकोनॉमी

Authored By: News Corridors Desk | 08 Mar 2025, 01:41 PM
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भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था काफी तेजी से बढ़ रही है और जल्द ही यह 1 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छूने वाली है । भारत मेंआईपीओ बाजार में हो रहे विकास के बीच  पिछले कुछ वर्षों के दौरान डिजिटल क्षेत्र में 10 गुना बढ़ोतरी देखने को मिली है । 

शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में ग्लोबल आईपीओ वॉल्यूम में भारत की हिस्सेदारी करीब 31 प्रतिशत की रही और कुल 3 बिलियन डॉलर की पूंजी जुटाई गई । भारत का लक्ष्य 2030 तक 13 ट्रिलियन डॉलर का बाजार पूंजीकरण हासिल करना है जो मजबूत निवेशक भागीदारी की वजह से देखा जा रहा है ।  यह जानकारी एक कार्यक्रम में लॉन्च की गई रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स की रिपोर्ट में दी गई है.

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में उछाल

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न (1 बिलियन डॉलर से ज्यादा की वैल्यू वाली कंपनियां) और सूनिकॉर्न (जो जल्दी यूनिकॉर्न बनने की ओर अग्रसर हैं) भारत में मौजूद हैं। अब स्टार्टअप केवल तेजी से बढ़ने की बजाय लाभप्रदता, प्रीमियमाइजेशन (बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों की ओर बढ़ना ) और ऑम्नीचैनल अडॉप्शन (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनल्स का उपयोग) की ओर बढ़ रहे हैं।

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खुदरा क्षेत्र में डिजिटल बदलाव

भारत में 350 से अधिक ऐसे ब्रांड्स हैं जिनकी सालाना आय 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा है। यह भारत के खुदरा बाजार की तेजी से बदलती तस्वीर को दिखाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक डिजिटल रिटेल का हिस्सा कुल खुदरा बिक्री का 12 प्रतिशत तक हो सकता है, जिससे प्रीमियम और लक्जरी उत्पादों के लिए नए अवसर पैदा होंगे। 
बढ़ती पहुंच और लोगों की बदलती आकांक्षाओं के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं । वहीं बी2बी (Business to Business) क्षेत्र में तकनीकी बदलाव के कारण सप्लाई चेन की दक्षता में सुधार हो रहा है, जिससे नए वैश्विक अवसर पैदा हो रहे हैं।

निवेशकों की संख्या में वृद्धि

यूनिकॉर्न का औसत राजस्व 2021 से तीन गुना हो गया है, जिसमें से कई ने वित्त वर्ष 2024 में ईबीआईटीडीए लाभप्रदता हासिल की है ।  रिपोर्ट के अनुसार, भारत में खुदरा निवेशकों की संख्या में उछाल आया है, जिससे निवेशकों की औसत आयु 42-44 वर्ष से घटकर 30 वर्ष से कम हो गई है । 
कुल मिलाकर, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में हो रही वृद्धि न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से बल्कि व्यापार और निवेश के मोर्चे पर भी महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाली है।