बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण ( SIR ) को लेकर जारी सियासी विवाद के बीच चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों पर बेहद सख्त प्रतिक्रिया दी है । राहुल गांधी लगातार चुनाव आयोग पर बीजेपी के लिए ‘वोट चोरी’ का आरोप लगा रहे हैं । इसके जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि 'वोट चोरी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल पूरी तरह गलत, भ्रामक और बेबुनियाद है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि अगर किसी के पास आरोपों के समर्थन में सबूत हैं, तो सात दिन के भीतर हलफनामा (शपथपत्र) देकर पेश करें,अन्यथा पूरे देश से माफी मांगें । सीईसी ने यह भी कहा कि इस तरह के आरोप न केवल मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के लिए न तो कोई विपक्ष है और न ही कोई पक्ष। सभी समान हैं। कोई भी किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित हो, चुनाव आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा।
"मतदाता सूची को बदनाम कर भ्रम फैलाने की कोशिश"
CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा कि मतदाता सूची को शुद्ध करना एक साझा जिम्मेदारी है और आयोग इसमें पारदर्शिता से काम करता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि बिहार में चुनाव आयोग के बूथ लेवल अधिकारी, राजनीतिक दलों और उनके एजेंटों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि, सिर्फ एक प्रेजेंटेशन (PPT) दिखाकर जिसमें चुनाव आयोग के आंकड़े नहीं हैं, गलत तरीके से विश्लेषण करना और यह कहना कि किसी महिला ने दो बार मतदान किया है, एक बेहद गंभीर आरोप है ।अगर ऐसा दावा किया जाता है, तो इसके लिए शपथपत्र जरूरी है। बिना कानूनी दस्तावेज़ के चुनाव आयोग कार्रवाई नहीं कर सकता, क्योंकि यह संविधान के खिलाफ होगा ।
" चुप नहीं रहेगा चुनाव आयोग "
CEC ने कहा, “मेरे सारे वोटरों को अपराधी कहना और यह उम्मीद करना कि चुनाव आयोग चुप रहेगा, ये संभव नहीं है । या तो हलफनामा दीजिए, या देश से माफी मांगिए, तीसरा कोई विकल्प नहीं है।” उन्होंने साफ कहा कि अगर 7 दिन में हलफनामा नहीं दिया गया, तो इसका मतलब होगा कि लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं।
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि भारत में 60% से अधिक मतदान होता है, जो दुनिया के कई बड़े लोकतंत्रों में नहीं हो पाता। भारत के पास 90 से 100 करोड़ वोटरों की सबसे बड़ी सूची है और सबसे बड़ी चुनावी मशीनरी है। उन्होंने कहा, “अगर कोई ये कहे कि मतदाता सूची में नाम दो बार होने का मतलब है कि दो बार मतदान हुआ होगा, तो ये मतदाताओं का अपमान है।”
ज्ञानेश कुमार ने कहा, “हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं। उन पर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया। क्या चुनाव आयोग को किसी भी मतदाता, चाहे वह उनकी मां हो, बहू हो, बेटी हो, उनके CCTV वीडियो साझा करने चाहिए ।"
"1 सितंबर से पहले बताएं गलतियां, आयोग करेगा सुधार"
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि, 1 अगस्त के बाद किसी भी राजनीतिक दल ने अब तक कोई औपचारिक आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। इसके दो ही मतलब हो सकते हैं - क्या मसौदा सूची पूरी तरह से सही है? जिसे चुनाव आयोग नहीं मानता ।
चुनाव आयोग कह रहा है कि इसमें ग़लतियां हो सकती हैं, इसे शुद्ध करते हैं, अभी 15 दिन बाकी हैं, अगर 1 सितंबर के बाद भी उसी तरह के आरोप लगने शुरू हुए, तो कौन ज़िम्मेदार है ? उन्होंने कहा कि हर मान्यता प्राप्त पार्टी के पास अभी 15 दिन बाकी हैं । अगर मतदाता सूची में कोई त्रुटि है तो 1 सितंबर से पहले बताएं। आयोग उसमें सुधार के लिए पूरी तरह तैयार है।