बिहार वोटर लिस्ट मामला : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम रोक लगाने से इनकार, गुरुवार को होगी सुनवाई

Authored By: News Corridors Desk | 07 Jul 2025, 01:04 PM
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बिहार में मतदाता सूची को लेकर चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision ) पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।

चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालों में कई  राजनीतिक और सामाजिक संगठन शामिल हैं । इनमें RJD सांसद मनोज झा, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL), और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा जैसे नाम शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जिस तरीके से वोटर लिस्ट की समीक्षा की जा रही है, उसमें पारदर्शिता की कमी है । 

लाखों लोगों के वोटिंग अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है- याचिकाकर्ता

इस मामले को लेकर कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, शादाब फरासत और गोपाल शंकरनारायणन जैसे बड़े वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंसी के आधार पर सुनवाई की मांग की । इनका कहना था कि चुनाव आयोग के इस अभियान से लाखों लोगों के वोटिंग अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है, खासकर गरीब और महिलाओं पर ।

उन्होंने ये दलील देते हुए सुप्रीम कोर्ट से प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है कि राज्य भर में बड़ी संख्या में लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं । यह संविधान के खिलाफ है । उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने केवल एक महीने का समय दिया है, जो कि पर्याप्त नहीं है । समय सीमा कम होने से बड़ी संख्या में लोग मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं और उनका मतदान का अधिकार छिन सकता है । 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मामले की सुनवाई करने पर सहमति दे दी, लेकिन फिलहाल किसी तरह की अंतरिम रोक (interim stay) लगाने से मना कर दिया है । कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे अपनी याचिकाओं की प्रतिकृतियां (कॉपी) चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को दे दें, ताकि सभी पक्ष तैयारी के साथ कोर्ट में पेश हो सकें।

चुनाव आयोग का पक्ष

पूरे मामले पर चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया पहले से तय योजना के तहत चल रही है और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं की गई है। आयोग के मुताबिक अब तक 1.69 करोड़ (करीब 21.46%) गणना प्रपत्र इकट्ठा किए जा चुके हैं और 7.25% फॉर्म ऑनलाइन पोर्टल पर भी अपलोड किए गए हैं। चुनाव आयोग ने ये भी कहा कि कुछ लोग इस अभियान को लेकर अफवाहें फैला रहे हैं, लेकिन एसआईआर की प्रक्रिया में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।

बिहार में जल्द विधानसभा चुनाव, जागरूकता अभियान जारी

बिहार में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए मतदाता सूची को अपडेट किया जा रहा है। इसके लिए विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें लोगों से वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने या सुधार करने की अपील की जा रही है।

भारत निर्वाचन आयोग ने इसके लिए 11 दस्तावेजों की सूची जारी की है। इनमें से कोई भी एक दस्तावेज देने पर व्यक्ति मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकता है। प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) और बिहार चुनाव आयोग सोशल मीडिया पर लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

चुनाव आयोग ने मतदाताओं से अपील की है कि वे बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) के पास जाकर गणना प्रपत्र भरें और साथ में पहचान संबंधी कोई एक वैध दस्तावेज लगाएं। साथ ही, ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा भी दी गई है, जिसके लिए लोग क्यूआर कोड स्कैन करके सीधे फॉर्म भर सकते हैं।

वोटिंग अघिकार पर खतरा या फर्जी मतदाताओं पर कैंची ? 

चुनाव आयोग बिहार में मतदाता सूची की समीक्षा और उसमें सुधार का काम कर रहा है। लेकिन कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों का आरोप है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है और बड़ी संख्या में वोटरों के नाम बिना सही जांच के हटा दिए जा सकते हैं। खास तौर पर गरीब, महिलाएं और समाज के वंचित वर्गों पर इसका असर पड़ सकता है।

विशेष गहन पुनरीक्षण एक प्रक्रिया है जिसमें चुनाव आयोग वोटर लिस्ट को अपडेट करता है । यानी जिनके नाम छूट गए हैं उन्हें जोड़ा जाता है, और जो अब पात्र नहीं हैं (जैसे कि मृतक या स्थानांतरित लोग) उनके नाम हटाए जाते हैं। लेकिन इस बार इसे लेकर विवाद इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि ऐसी संभावना जताई जा रही है कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम कट सकते हैं ।

 विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि समय सीमा कम होने से बड़ी संख्या में लोग मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं । वहीं एनडीए का कहना है कि विपक्ष इसलिए बौखलाया हुआ है क्योंकि चुनाव आयोग के कदम से लाखों की संख्या में फर्जी मतदाता बनाने के खेल का खुलासा हो जाएगा ।