अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ अटैक और उसके बाद से दुनिया में बढ़ती भू-राजनीतिक हलचलों के बीच भारत और चीन करीब आते दिख रहे हैं । हाल के दिनों में दोनों देशों ने बातचीत और अपसी सहयोग को बढ़ाने की दिशा में पहल की है । इसी कड़ी में अब चीन के विदेश मंत्री वांग यी के अगले हफ्ते भारत के दौरे पर आ रहे हैं। यहां वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बैठक करेंगे।
वांग यी और अजित डोभाल अपने-अपने देशों के विशेष प्रतिनिधि हैं और सीमा विवाद से संबंधित वार्ताओं का नेतृत्व करते हैं। अगले हफ्ते होने वाली बैठक को काफी अहम माना जा रहा है जिसमें कई महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है ।
भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक पहल
भारत और चीन ने हाल के दिनों में आपसी संबंध सुधारने की दिशा में कई कदम उठाए हैं । इनमें लद्दाख में सीमा विवाद पर आंशिक समाधान के लिए समझौता हुआ और चीन ने कैलाश-मानसरोवर यात्रा की फिर से अनुमति दी । भारत ने भी फिर से चीनी पर्यटकों को वीजा देना शुरू कर दिया है ।
इसके अलावा अब दोनों देशों के बीच अगले महीने से डायरेक्ट फ्लाइट सेवाएं दोबारा शुरू होने वाली हैं। यह भी दोनों देशों के बीच संबंधों के सामान्य होने का एक और संकेत माना जा रहा है। साल 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें बंद हो गई थीं ।
SCO सम्मेलन में भाग लेने चीन जाएंगे प्रधानमंत्री मोदी
इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन में होने वाले शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) सम्मेलन में शामिल होने के लिए जाएंगे। इस दौरान उनकी मुलाकात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी होने की संभावना है।
इससे पहले, 2024 में प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की कजान (रूस) में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई थी। उस बैठक को दोनों देशों के रिश्तों को स्थिर करने की दिशा में एक अहम प्रयास माना गया था।
अमेरिका से रिश्तों में आई खटास के बाद बदल रहे समीकरण
चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ उनकी बैठक ऐसे समय हो रही है जब चीन और रूस के साथ भारत के रिश्तों में तेज़ी से बदलाव देखा जा रहा है। दूसरी तरफ अमेरिका के साथ टैरिफ को लेकर तनाव बढ़ गया है।
ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है । उन्होंने भारत पर पहले 31 जुलाई को 25 प्रतिशत टैरिफ का ऐलान किया और इसके कुछ दिन बाद 6 अगस्त को रूस से तेल खरीदने के कारण 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी ।