ब्रिटेन में पहली बार ट्रांसप्लांट गर्भाशय से बच्ची का जन्म, रचा इतिहास

Authored By: News Corridors Desk | 09 Apr 2025, 11:25 AM
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ब्रिटेन में पहली बार यूटेरस ट्रांसप्लांट (गर्भाशय प्रत्यारोपण) से एक स्वस्थ बच्ची का जन्म हुआ है। यह ऐतिहासिक क्षण किसी विज्ञान-कथा फिल्म जैसा प्रतीत होता है, लेकिन यह हकीकत है। इस बच्ची का नाम एमी इसाबेल डेविडसन है, जिसका जन्म 27 फरवरी, 2025 को लंदन के क्वीन चार्लोट ऐंड चेल्सी हॉस्पिटल में प्लांड सिजेरियन डिलीवरी से हुआ।

25 साल की रिसर्च का परिणाम

इस अद्भुत सफलता के पीछे प्रोफेसर रिचर्ड स्मिथ की 25 वर्षों की अथक मेहनत और शोध है। वह गर्भाशय ट्रांसप्लांट पर लंबे समय से रिसर्च कर रहे थे। प्रो. स्मिथ की टीम ने अब तक एक जीवित डोनर और तीन मृत डोनर से ट्रांसप्लांट किए हैं, जिनमें से सभी सफल रहे। उनका उद्देश्य केवल अंग प्रत्यारोपण नहीं, बल्कि उससे स्वस्थ बच्चों का जन्म सुनिश्चित करना था — और अब उन्होंने यह कर दिखाया है।

बेबी एमी की मां ग्रेस डेविडसन (36 वर्ष) को यह गर्भाशय उनकी बड़ी बहन एमी पर्डी (42 वर्ष) ने दान किया। यह प्यार और बलिदान की एक ऐसी मिसाल है, जो लोगों को भावुक कर देती है। एमी ने 2023 में अपनी बहन को अपना गर्भाशय दान कर इतिहास रच दिया।

IVF से तैयार हुए भ्रूण, फिर हुआ ट्रांसप्लांट

ग्रेस को मेयर-रोकिटांस्की-कूस्टर-हाउज़र (MRKH) सिंड्रोम था, जो एक दुर्लभ विकार है और लगभग हर 5,000 में से एक महिला को प्रभावित करता है। इसमें गर्भाशय विकसित नहीं होता या बेहद छोटा होता है। 19 साल की उम्र में जब ग्रेस को इस बीमारी का पता चला, तो उन्होंने सोचा था कि वे कभी मां नहीं बन सकेंगी। लेकिन ट्रांसप्लांट और IVF तकनीक की मदद से उनका सपना साकार हो गया।

सर्जरी से पहले ग्रेस और उनके पति एंगस (37 वर्ष) ने IVF के माध्यम से सात भ्रूण तैयार कर फ्रीज करवाए थे। ट्रांसप्लांट के कुछ महीनों बाद एक भ्रूण को प्रत्यारोपित किया गया और फिर 9 महीने बाद एमी का जन्म हुआ। जन्म के समय बच्ची का वजन लगभग 2 किलोग्राम (4.5 पाउंड) था।

ग्रेस ने भावुक होते हुए कहा, “मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह सच में हमारी बेटी है। मैं जानती थी कि वह हमारी है, लेकिन इसे मानना मुश्किल था।” बेटी का नाम उन्होंने अपनी बहन एमी और ट्रांसप्लांट टीम की प्रमुख सर्जन इसोबेल क्विरोगा के सम्मान में रखा।

नई उम्मीद बनी बेबी एमी

बेबी एमी का जन्म उन हजारों महिलाओं के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर आया है, जो गर्भाशय संबंधी समस्याओं की वजह से मां नहीं बन पाती थीं। अब यह साबित हो चुका है कि यूटेरस ट्रांसप्लांट से न सिर्फ जीवन दिया जा सकता है, बल्कि मातृत्व का सपना भी पूरा किया जा सकता है।